CBSE (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन) के 10वीं के नतीजों में हो रही देरी की वजह सामने आ गई है। दरअसल, कुछ स्कूलों की शरारत का खामियाजा देशभर के स्कूलों को भुगतना पड़ रहा है। इन स्कूलों ने अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए टेबुलेशन फॉर्मूला के रेफरेंस रेंज का अपने ही तरीके से इस्तेमाल किया और छात्रों को अधिकतम अंक दे दिए।
यह बात पकड़ में आई जब अंक अपलोड होने के बाद बोर्ड ने डेटा विश्लेषण शुरू किया। इन स्कूलों की मूल्यांकन प्रक्रिया को CBSE ने सिरे से खारिज कर दिया है। अब 17 जुलाई तक की नई सीमा देकर बोर्ड ने इन स्कूलों से कहा है कि वे टेबुलेशन के निर्देश के ‘शब्दों व भावनाओं’ को ठीक से लागू करें, वरना बोर्ड को स्वयं हस्तक्षेप करते हुए मार्क्स तय करने होंगे।
20 जुलाई को 10वीं के नतीजे घोषित हो सकेंगे: CBSE अधिकारी
CBSE के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बोर्ड ने अब 10वीं के नतीजे 20 जुलाई और 12वीं के नतीजे 30 जुलाई को घोषित करने का लक्ष्य रखा है। अधिकारी ने कहा, “यदि बोर्ड को शुक्रवार तक भी सभी स्कूलों का डेटा मिल जाता है तभी 20 जुलाई को 10वीं के नतीजे घोषित हो सकेंगे।”
इंटरनल असेसमेंट-थ्योरी मिलाकर 96 या ज्यादा अंक दिए तो समीक्षा करें
बोर्ड ने एक सर्कुलर भेजकर बताया है कि कुछ स्कूलों ने थ्योरी मार्क्स में 70-80 अंक के ब्रैकेट का फायदा उठाते हुए अधिकतम 77-80 का मानक अपना लिया।
निर्देशों का पालन नहीं हुआ तो बोर्ड अंकों को खुद मॉडरेट कर देगा
बोर्ड ने डिफॉल्टर स्कूलों से कहा है कि जिन छात्रों को इंटरनल एसेसमेंट और थ्योरी मिला 96 या अधिक अंक दिए गए हैं, उनकी फिर से समीक्षा करें। केवल डिफाॅल्टर स्कूलों के अकाउंट ही पोर्टल पर अंकों के अपलोड के लिए 17 जुलाई तक खोले गए हैं। यदि निर्देशों का पालन नहीं हुआ तो बोर्ड उस स्कूल के अंकों को स्वयं माॅडरेट करेगा और स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।