अफगानिस्तान पर अब तालिबान का कब्जा हो चुका है और यहां के लोग अब अपने ही देश में खुद को सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं। बच्चों, महिलाओं और अन्य सभी लोगों के अंदर तालिबान को लेकर खौफ बना हुआ है। अफगान नेशनल आर्मी की महिला सैनिक शकुबरा बेहरोज़ भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वो साल 2011 में अफगान नेशनल आर्मी में शामिल हुईं थीं । उस समय वह बहुत गर्व महसूस कर रही थीं, लेकिन अब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और वह डरी और सहमी हुई हैं।
कुबरा बेहरोज़ ने बताया कि उन्होंने सेना शामिल होने का फैसला क्यों किया। उन्होंने कहा “मुझे किसी के अधीन नहीं रहना है। मैं अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं। अफगानिस्तान जैसे इस्लामिक देशों में महिलाओं के सेना पर भर्ती होने को अजीब नजर से देखा जाता है। मैं अपने देश से प्यार करती हूं और हम आधुनिक दुनिया में कदम रखने वाले अफगानों की अगली पीढ़ी हैं।”
कैसे हैं अफगानिस्तान के हालात
बेहरोज़ ने कहा “मैं आज सुबह काम पर गई थी और किसी भी सामान्य चेकपॉइंट पर कोई पुलिस या सैनिक नहीं था और कार्यालय में कोई भी नहीं था, इसलिए मैं घर आ गई। परिवार सड़कों पर हैं लेकिन किसी को पता नहीं है कि क्या करना है।” बेहरोज ने यह भी बताया कि काबुल में तालिबान के कब्जे से पहले ही ब्यूटी पार्लर के मालिकों ने अपनी दुकान की खिड़कियों पर पेंटिंग करना शुरू कर दिया था और कैसेट की दुकानों में कर्मचारियों ने म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट तोड़ दिए थे।
तालिबान हमें पा गए तो हमारे सिर काट देंगे
बेहरोज़ के अनुसार उनके पश्तून सहयोगी और महिला सहकर्मी बचकर रहने की हिदायत दे रहे हैं। उन्होंने कहा “लोग कहते हैं कि अगर तालिबान हमें पा गए तो हमारे सिर काट देंगे। मुझे डर है कि एक सैनिक होने के नाते मेरा अपहरण कर लिया जाएगा, जेल में डाल दिया जाएगा और बलात्कार किया जाएगा। मुझे अपने भविष्य और अपने परिवार को लेकर डर लग रहा है। वे कहते हैं कि अगर ताबिलान हमें पा गए तो वे हमारा गला रेत देंगे।” बेहरोज़ के भाई भी सेना में हैं उन्हें किसी ने बताया कि चार साल पहले दो महिलाओं का सिर काट दिया गया था क्योंकि वे पुलिसकर्मी थीं। बेहरोज ने बताया, “यह एक इस्लामिक देश है और हमें घर और शरीर की तलाशी लेने के लिए महिला सैनिकों और पुलिस की जरूरत है। पुरुषों को यहां ऐसा करने की अनुमति नहीं है।”