बालाघाट : बिन खाद कैसे पकेगी किसान की धान?

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बालाघाट (पद्मेश न्यूज)। मध्य प्रदेश में खरीफ की फसल में धान का का सबसे अधिक धान उत्पादन करने वाले जिलों की सूची में शामिल बालाघाट में बीते एक पखवाड़े से यूरिया और डीएपी के कम आवंटन की वजह से किसान परेशान है, तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस सडक़ पर उतरकर आंदोलन कर रही है। जिन किसानों को समय पर यूरिया, डीएपी मिल गई वह उनकी किस्मत, तो वहीं जिन किसानों को खाद नहीं मिली उनके लिए चिंता का विषय बनते जा रहा है।
3 हजार मैट्रिक टन यूरिया कम

बालाघाट जिला मुख्यालय स्थित काली पुतली चौक के जिला केंद्रीय सहकारी मर्यादित बैंक के मुख्य कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले के किसानों की मांग के अनुरूप यूरिया और डीएपी वरिष्ठ स्तर से नहीं भेजी गई है।  यदि बीते वर्ष के आंकड़ों पर ही नजर डाली जाए तो आज दिनांक तक जिले को 13 717 मेट्रिक टन यूरिया प्रदाय किया गया है जिसके बदले 12 हजार 43 मेट्रिक टन यूरिया का उठाव हो चुका है। यूरिया के ही बीते वर्ष के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो आज दिनांक तक बीते वर्ष 15210 मेट्रिक टन यूरिया जिले के भीतर किसानों को प्रदाय किया जा चुका था मतलब साफ है बीते वर्ष के आंकड़ों की तुलना में इस वर्ष भी 3 हजार मैट्रिक टन यूरिया किसानों तक नहीं पहुंचा है।
6 हजार मैट्रिक टन डीएपी कम

धान की फसल के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण डीएपी के हालात इससे भी कही ज्यादा खराब बने हुए हैं,  वर्तमान समय में बालाघाट जिले को 13405 मेट्रिक टन डीएपी प्रदाय की जा चुकी है।  जिसके बदले 13078 मेट्रिक टन डीएपी किसानों को आवंटित की जा चुकी है, लेकिन बीते वर्ष के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो आंकड़ा सच में थोड़ा चिंताजनक दिखाई देता है,  बीते वर्ष आज की दिनांक तक 19251 मेट्रिक टन डीएपी का किसानों ने उठाव कर लिया था मतलब साफ है कि जिले की भीतर अब भी बीते वर्ष के आंकड़ों के अनुसार 6 हजार मैट्रिक टन डीएपी कम पहुंची है।
किसानों को
परेशानी
दरअसल यहां आपको हम बता दें कि बीते वर्ष में भी जिले के भीतर यूरिया व डीएपी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।  डीएपी और यूरिया की कमी पिछली बार भी बनी हुई थी। जिस कारण किसानों को अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा था।  लेकिन समय-समय पर वरिष्ठ स्तर से मिलने वाले आवंटन की वजह से किसानों और विपक्ष में बैठी कांग्रेस को इस मुद्दे को पूरी तरह से अधिग्रहित करने का मौका नहीं मिला जो इस वर्ष मिल चुका है।
पहले मानूसन से ही परेशान
जिले के भीतर धान उत्पादन करने वाले किसानों के सामने इन दिनों डबल परेशानी खड़ी हुई है, पहले  समय से पहले पहुंचा मानसून उसके बाद मानसून की बेरुखी और फिर अचानक झमाझम बारिश और सावन के अंत में फिर एक बार बादलों का रूठना किसानों के लिए पहले ही चिंता का विषय बना रहा है।  जिले में डीएपी और यूरिया की किल्लत ने धान की फसल के उत्पादन के लिए उनकी चिंता को और अधिक बढ़ा दिया है।
उत्पादन प्रभावित होना तय

आर्थिक रूप से कमजोर किसानों के आगे तो और अधिक परेशानी यह है कि बाजार में यही यूरिया और डीएपी अधिक दाम दाम पर मिल रहा है। आज किसान यदि कर्ज लेकर अधिक दाम वाला यूरिया डीएपी धान की फसल में छिडक़ाव भी देता है तो कल उसे पता है धान की लागत निकाल पाना मुश्किल होगा।  इसीलिए वह अभी कुछ दिन और इंतजार करना चाहता है।  दूसरी ओर ऐसे किसान जिन्होंने सिंचाई के साधन से अपनी फसल की रोपाई तो कर ली लेकिन अब डीएपी और यूरिया की कमी उनके लिए परेशानी का कारण बन चुकी है।  समय पर दोनों ही खाद धान की फसल में नहीं डाली गई तो उत्पादन प्रभावित होना तय माना जा रहा है।
खाद के लिए पत्राचार-जीएम

केंद्रीय सहकारी मर्यादित बैंक के प्रभारी महाप्रबंधक राजीव सोनी ने पद्मेश न्यूज़ से चर्चा के दौरान बताया कि जैसे-जैसे यूरिया और डीएपी का आवंटन उन्हें प्राप्त होता है, सोसायटी के माध्यम से किसानों को आवंटित करवा देते हैं। हालांकि चर्चा के दौरान वह भी मानते हैं कि बीते वर्ष की तुलना में ही इस वर्ष डीएपी और यूरिया का आवंटन कब प्राप्त हुआ है उनकी ओर से लगातार दोनों ही रासायनिक खाद के लिए वरिष्ठ स्तर पर पत्राचार किया जा रहा है।

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