लालबर्रा (पदमेश न्यूज)। कोरोना संकट के इस दौर में भारत की अर्थ व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए १ फरवरी को मोदी सरकार की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में २०२२-२३ का आम बजट पेश किया। केन्द्र सरकार की इस बजट में लोगों को अपेक्षा थी कि मोदी सरकार कुछ बड़ा ऐलान करेगी जिससे गरीब, किसान, युवा, मजदूर एवं नौकरी करने वाले लोगों को राहत मिल पायेगी मगर बजट में ऐसा कुछ खास देखने को नही मिला इस तरह इस बजट में थोड़ी खुशी भी मिली है तो कुछ गम भी मिला है और यह बजट निराशाजनक बताया जा रहा है। वहीं सत्तापक्ष के लोग बजट को अच्छा बता रहे है तो विपक्षी निराशाजनक बजट होने की बात कह रहे है साथ ही यह भी कहा कि यह बजट उद्योग पतियों को लाभ पहुंचाने वाला बजट है एवं गरीबी हटाने की बात कहने वाली सरकार महंगाई पर अंकुश नही लगा पा रही है।
अब शिवराज सरकार के बजट पर नजर
मध्यप्रदेश का आगामी समय में शिवराज सरकार का बजट आने वाला है और केन्द्र सरकार के द्वारा १ फरवरी को बजट पेश किया गया है जिसमें युवाओं, महिलाओं व किसानों को निराशा हाथ लगी है अब इन सब की नजर मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार की बजट पर टिकी है कि हर वर्ग के हित में बजट आयेगा किन्तु बजट आने के बाद ही कहा जा सकता है कि सरकार जनता की हितैषी है या विरोधी। वहीं विगत २ वर्ष से कोरोना काल के चलते व्यापार भी ठप्प चल रहे है एवं आगामी बजट में प्रदेश सरकार कपड़ा, मोबाईल, ज्वलेर्स में जीएसटी टैक्स बढ़ाने की बात कह रही है जिससे उक्त व्यापारियों का कहना है कि दो साल से कोरोना के चलते व्यापार मंद चल रहा है इसलिए सभी व्यापार में व्यापारी को छूट दिये जाने एवं ट्रांसपोर्ट व्यापारी और उससे जुड़े हुए व्यापारी पेट्रोल-डीजल के दाम कम करने की मांग शिवराजसिंह चौहान सरकार से की है और आगामी म.प्र. के बजट में व्यापार में टैक्स की छूट एवं पेट्रोल-डीजल के दाम में स्थाई रूप से कम किये जाने का प्रावधान रखने की उम्मीद की जा रही है।
थोड़ी निराशा, थोड़ी खुशी
सदन में एक महिला वित्त मंत्री को बजट पेश करते हुए देखना अ’छा लगा और मोदी सरकार से देश भर की महिलाओं को काफी उम्मीदें थी किन्तु ऐसा कुछ नही हुआ और सरकार ने पेट्रोल-डीजल व सोने की कीमतें बढ़ाई हैं जिससे पेट्रोल-डीजल की मार से जूझ रहे मध्यम वर्ग के लोगों को सरकार का एक और झटका लगा है। इस बजट में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए सरकार की झोली से कुछ नहीं निकला है इसलिए लोग अपने-अपने तरीके से सरकार के बजट की निंदा कर रहे है।
किसानों की उम्मीदों को झटका
किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए ऐसी उम्मीद थी कि इस बजट में खेती-किसानी पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है और पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम में मिलने वाले पैसे को बढ़ाया जा सकता है, मगर ऐसा नहीं हुआ। पीएम किसान योजना के तहत अभी हर वर्ष ६ हजार रुपए मिलते हैं और ऐसी उम्मीदे थीं कि इसमें ३ हजार रूपये का इजाफा हो सकता है मगर ऐसा नहीं हुआ। कई विशेषज्ञ यह मान रहे थे कि मोदी सरकार किसान आंदोलन को देखते हुए यह फैसला ले सकती है, मगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषणों में ऐसा कुछ भी नहीं दिखा और खाद के दामों में भी बढ़ोत्तरी कर दी गई हैै जिससे किसानों में आक्रोश व्याप्त है। वहीं किसान नेताओं व किसानों का कहना है कि सरकार किसानों की आय दुगुनी करने की बात कहती है किन्तु खाद के दाम व महंगाई बढऩे से किसानों की आय दुगुनी के स्थान पर दुगुनी पीछे हो गई है इस बजट में किसानों, मजदूरों व युवा वर्ग के हित में कोई निर्णय नही लिया गया है एवं देश में इस साल कितने रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे, इसे लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं दिखाई दे रही। आगामी समय में म.प्र. का बजट आने वाला है और शिवराज सरकार से उम्मीद है कि अपने बजट में किसानों की सम्मान निधि व हर वस्तुओं को ध्यान में रखते हुए बजट पेश करेगी।