70 फ़ीसदी स्कूल प्रभारियों के भरोसे संचालित !

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मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2016 से शासकीय कार्यालयों में पदोन्नति पर रोक लगाए जाने के बाद से जैसे हर प्रभारियों के भरोसे अधिकांश कार्यालय संचालित हो रहे हैं। इसका सीधा प्रभाव शिक्षा विभाग पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है। जिले के भीतर संचालित हाई स्कूल हायर सेकेंडरी के 70 फ़ीसदी से अधिक स्कूल प्रभारियों के भरोसे संचालित हो रहे हैं। नतीजा परीक्षा परिणाम में भी 70 प्रतिशत से गिरकर 50 प्रतिशत पर आ गया है।

चलिए बात आंकड़ों की कर लेते हैं तो पहले शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित स्कूलों की जानकारी आपको देते हैं वैसे तो हर 5 किलोमीटर में 1 हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी का दावा करने वाली मध्य प्रदेश सरकार स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों की संख्या तो बढ़ा दी लेकिन स्कूलों के हालात किसी से छुपी नहीं है शिक्षा विभाग के 95 हाई स्कूल संचालित है जिसमें से महज 21 में नियमित प्राचार्य है। यही हालात हायर सेकेंडरी स्कूल के हैं ध्यान में हाई सेकेंडरी स्कूल के लिए महज 30 नियमित प्राचार्य कार्यरत है। बाकी स्कूल प्रभारियों के भरोसे संचालित हो रहे हैं।

इसी तरह जिले के बैहर, बिरसा, परसवाड़ा तहसील में संचालित ट्राइबल एजुकेशन आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित 63 हाई स्कूल हायर सेकेंडरी में 33 प्रभारी प्राचार्य के भरोसे संचालित हो रही है।

बात करें प्रभारियों के भरोसे स्कूल के संचालन की तो वर्ष 2020 और वर्ष 2022 के रिजल्ट पर ध्यान दें तो स्थिति स्पष्ट दिखाई देने लगेगी। वर्ष 2020 में हाई सेकेंडरी स्कूल का परीक्षा परिणाम 70 प्रतिशत था। वर्ष 2022 में 57 प्रतिशत रह गया। वर्ष 2020 में हायर सेकेंडरी स्कूल का परीक्षा परिणाम 77 प्रतिशत था तो वर्ष 2022 में 59 प्रतिशत रह गया।

परीक्षा परिणाम की इतना अधिक प्रभावित होने के पीछे प्राथमिक शिक्षा मूल वजह बताई जाती है मध्यान भोजन के अलावा प्राथमिक स्कूलों में बेहतर पढ़ाई नहीं होना आठवीं तक के बच्चे को हिंदी की किताब पढ़ते नहीं आना तो अंग्रेजी का लेसन और मैथ्स के फार्मूले तो दूर की बात है।

इसके पीछे एक वजह और बताई जाती है की अधिकांश स्कूलों में प्रभारी प्राचार्य कार्यरत है प्रभारी प्राचार्य व्यवस्था के हिसाब से शिक्षकों के चाहते एक सीनियर शिक्षक को प्रभार सौंप दिया जाता है। जो अपने साथ के शिक्षकों का पूरा ध्यान रखता है। यदि उस शिक्षक ने अपने साथ ही शिक्षकों का ध्यान नहीं रखा तो नतीजा शिक्षा विभाग में होने वाली नेता नगरी के तहत उसे हटा भी दिया जाता है। उस पर शिक्षकों के समय-समय पर मांग सरकार के सामने आंदोलन और धरना प्रदर्शन सहित अन्य कारणों शिक्षक सरकार से अपनी मांग तो लगातार पूरी करवा रहे हैं लेकिन उस हिसाब से पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे रहे, नतीजा पढ़ाई जैसे दूर की कौड़ी होती जा रही है। जिसकी बानगी वर्ष 2020 से वर्ष 2022 के बीच के रिजल्ट में भी दिखाई देती है।

हालात इसी तरह बनी रहे और प्रमोशन ऐसे ही अटके रहे तो आगामी दिनों में स्कूल शिक्षा विभाग के हालात पर आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं। चित्र एक उत्कृष्ट स्कूल में पूरे तहसील की तस्वीर नहीं बदली उसी तरह पीएम राइज के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी शासन शिक्षा की तस्वीर को नहीं बदल पाएगा?

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