शिक्षा विभाग का लेखापाल हुआ ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार

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उचित कानून व्यवस्था और मुस्तैद प्रशासन होने के बावजूद भी साइबर क्राइम से जुड़े लोगों को ना तो कानून का खौफ है और ना ही कानून के रखवालों का डर ।जिसके चलते वे बेखौफ होकर साइबर क्राइम की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. शायद यही वजह है की लाख एतिहाद के बावजूद भी जिले में ऑनलाइन ठगी के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। जिसपर अंकुश लगाना पुलिस प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। जहां अज्ञानता के चलते साइबर क्राइम के मामलो में रोजाना ही इजाफा देखा जा रहा है। ऑनलाइन ठगी के लगातार बढ़ते जा रहे इन्हीं मामलों के बीच अब ठग गिरहो नेअब शिक्षा विभाग,जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ लेखापाल नितिन कोमटवार को अपना निशाना बनाया है जहां ठग गिरोह ने खुद को शिर्डी के समीप रुकने के लिए सर्व सुविधा युक्त रुम किराए पर उपलब्ध कराने वाला बताते हुए वार्ड नंबर 28 स्नेह नगर निवासी नितिन कोमटवार से पहले तो 350 रु की राशि बुकिंग के नाम पर ऑनलाइन ट्रांसफर करा ली ,बाद में 10 रूपए अतिरिक्त रिचार्ज लगने की बात कहते हुए कार्ड नंबर मांग लिया ।जहां कार्ड नंबर देने पर ठग गिरहो ने श्री कोमटवार के बैंक खाते से करीब 10,000 रु की राशि का अहरण कर लिया। बताया जा रहा है फिरयादी के खाते में सिर्फ 10=11 हजार रु की राशि थी। जिसकी चलते ठग गिरहो ऑनलाइन तरीके से अधिक रुपयों की ठगी नहीं कर पाए। जहां ठगी का अहसास होने पर श्री कोमटवार ने कोतवाली थाना पहुंचकर इसक शिकायत साइबर सेल में दर्ज कराई है जिन्होंने इस पूरे मामले की जांच कर, उनके बैंक अकाउंट से काटी गई रकम को वापस दिलाने, ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह को पकड़कर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलाए जाने की मांग की है।

कुछ इस तरह की गईं ऑनलाइन ठगी
जानकारी के अनुसार वार्ड नंबर 28 स्नेह नगर निवासी नितिन कोमटवार शिक्षा विभाग जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में लेखापाल के पद पर पदस्थ है। जिन्होंने सहपरिवार साईं बाबा के दर्शन के लिए शिरडी जाने की इच्छा जताई थी और अपनी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए शिर्डी में रुकने व घूमने के लिए उन्होंने शिरडी के समीप एक रूम बुक करने की बात अपने बेटे से कहीं। जिस पर उनके बेटे ने गुगल पर सर्च करके शिरडी के आसपास रूम तलाश किया। जहा google पर उसे एक लिंक मिली। जहा संपर्क न 8250020126 लिखा हुआ था, जिसपर संपर्क करने पर सामने वाली ने अपना नाम गणेश ठाकुर बताया और शिरडी के समीप रूम उपलब्ध होने की बात कहते हुए रुम बुकिंग के नाम पर 350 रुपए की राशि दिए जाने की मांग की, जिस पर कोमटवार के परिजन तैयार हो गए और जिन्होंने रूम बुक करने के लिए ऑनलाइन लोकेशन देखकर 350 रु सामने वाले को ऑनलाइन ट्रासफर कर दिए। जिस पर ठग गिरोह ने पहले तो बुकिंग रूम बुकिंग के नाम पर 350 रु ऐठ लिए, बाद में ₹10 अतिरिक्त चार्ज लगने की बात कहते हुए कार्ड का नंबर मांग लिया ।जहां डेबिट कार्ड का नंबर देते ही ठग गिरोह ने ऑनलाइन तरीके से ठगी करते हुए करीब 9908 रुपए की की ऑनलाइन ठगी कर ली। इस तरह श्री कोमटवार को ठग गिरोह ने शिर्डी में साई मंदिर के समीप किराए पर रूम उपलब्ध होने का हवाला देते हुए करीब 10,000 की धोखाधड़ी कर ली।

अज्ञानता के कारण बढ रहे ऑनलाईन ठगी के मामले
यदि जनता को प्रौद्योगिकी के फायदे मिले हैं तो उसका नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ रहा है। इसमें ऑनलाइन ठगी भी शामिल है। तकनीकी संचार के इस युग में आज ज्यादातर कार्य ऑनलाइन हो गए हैं इसीलिए लोग मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग का अधिक इस्तेमाल करने लगे हैं। संचार के इस युग में हर कोई अपने कार्य को आसानी और कम समय में करना चाहता है। इसलिए लोग पैसों के लेनदेन से लेकर खरीदारी भी ऑनलाइन करने लगे हैं। जैसे-जैसे संचार के साधन बढ़ रहे हैं उसी गति से साइबर अपराध का ग्राफ भी बढ़ने लगा है।ऑनलाइन ठगी के लगातार बढ़ते जा रहे इन्हीं मामलों मामलों के बीच रूम रेट देने के नाम पर ऑनलाइन 39 हजार रु की ठगी करने का ताजा मामला सामने आया है।आपको बताएगी ठगी के यहां मामले अज्ञानता और जन जागरूकता की कमी के चलते लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जिसका खामियाजा लोगों को अपना बैंक अकाउंट खाली कर चुकाना पड़ रहा है।

लोगो मे जनजागरूकता की कमी है असली वजह
लाखो बार जागरूक करने के बाद भी लोगो मे जनजागरूकता नही आ रही है जिसका फायदा उठाकर ऑनलाइन ठगी गिरोह लोगो को आसानी से ठग कर उनकी मेहनत की कमाई बैक से उड़ा रहे है आपको बताए कि विभिन्न बैंकों द्वारा समय-समय पर अपने बैंक खातों की जानकारी ऑटो पी नंबर सहित अन्य जानकारियां गुप्त रखने की समझाइश दी जाती है वही बैंक संबंधी जानकारियां ओटीपी आदि एक दूसरे से शेयर ना करने को लेकर समझाइश दी जाती है बावजूद इसके भी लोग किसी न किसी तरीके से साइबर क्राइम करने वालों की बातों में आकर अपने बैंक खाते ओटीपी आदि की जानकारी दे देते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं।ज्ञात हो कि ऑनलाइन ठगी का यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि ऐसे मामले अक्सर देखने को मिलते रहते हैं जहां कार्रवाई के नाम पर पीड़ित को कुछ भी हासिल नहीं होता है। इसके पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आए। जिनमें कितनों को ठगी का पैसा मिला इसकी कोई पुख्ता जानकारी पुलिस ने सार्वजनिक नहीं की है।

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