नहीं सुधर रही जिला अस्पताल की व्यवस्था

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जिला अस्पताल बालाघाट में यदि आपने किसी मरीज को इलाज के लिए लाया है और आप उस मरीज को जिला अस्पताल में भर्ती कराकर उसका इलाज करवाना चाहते है तो आपको वो सब कुछ करना पड़ेगा जो काम अस्पताल के कर्मचारियों का है। ऐसे मामले में आप अस्पताल के किसी कर्मचारी से सहयोग की उम्मीद ना रखे तो बेहतर है ।यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह बात जिला अस्पताल में आए दिनों नजर आने वाले नजारे बता रहे हैं ।क्योंकि जिला अस्पताल में आने वाले लोगों को अपने मरीज को भर्ती कराने के लिए खुद ही स्ट्रेचर में लेंटाना पड़ता है खुद ही इस स्ट्रेचर को खींचते हुए वार्ड में ले जाना पड़ता है और खुद ही पलंग का इंतजाम कर उस पलंग में बेडशीट आदि बिछानी पड़ती है।जिला अस्पताल के इन हालातों को देखते हुए अब ऐसा लगता है कि शायद वह दिन अब दूर नहीं के यहां लाने वाले मरीजों को कहीं आपको ही गुलुकोश की बॉटल लगानी ना पड़े क्योंकि पिछले कई दिनों से जिला अस्पताल के ऐसे ही हालात बने हुए हैं।

मंत्री ,अधिकारियों को निरीक्षण में नहीं दिखते हैं ऐसे नजारे
बात अगर जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं की करें तो जिला अस्पताल की व्यवस्था और वहां मिलने वाली सुविधाए किसी से छुपी नहीं है। स्थानीय नेता, सांसद, विधायक,मंत्री सहित जिला प्रशासन द्वारा आए दिन जिला अस्पताल का निरीक्षण कर यहां की सुविधाएं पहले से और अधिक बेहतर बनाने में जुटा है तो वहीं दूसरी ओर आए दिन नजर आ रहे यह नजारे अस्पताल प्रबंधन और यहां की गई व्यवस्थाओं की पोल खोलते नजर आते हैं। ज्ञात हो कि इसी जून के आसपास जिला अस्पताल में एक मरीज को स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं कराने के मामले में 5 एएनएम पर एक वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई हुई थी बावजूद इसके जिला अस्पताल के भीतर की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। वही आए दिनों लोगो को अपने मरीज को वार्ड में भर्ती कराने के लिए स्ट्रेचर खीचते देखा जा रहा है। जहाँ रोजाना की तरह सोमवार को को भी सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों के परिजन स्ट्रेचर खींचते दिखाई दिए। और पूरे जिला अस्पताल में कहीं वार्ड बाय नजर नही आए , वही वार्ड बाय देखे भी तो वे मरीज की जगह स्ट्रेचर पर सरकारी दवाई को स्टोर तक पहुंचाते हुए नजर आए ।यह आलम जिला अस्पताल में रोज नजर आ रहा है। लेकिन जब निरीक्षण पर मंत्री विधायक नेता या प्रशासनिक अधिकारी पहुंचते हैं तो उन्हें यह नजारा नजर ही नहीं आता।

वर्षों से चली आ रही परंपरा अब भी कायम, कार्यवाही का नहीं है डर
सोमवार को अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को जिला अस्पताल में भर्ती कराने के लिए एंबुलेंस 108 से लाया गया था जिन्हें एंबुलेंस से उतारकर डॉक्टर के पास ले जाने और उन्हें वार्ड में जाकर शिफ्ट कराने की जिम्मेदारी वहां के वार्ड बॉय और संबंधित स्टाफ की थी लेकिन देखने में यह आया कि लोग अपने मरीजों को खुद स्ट्रेचर में डालकर स्ट्रेचर खुद घसीटते हुए नजर आए । वही वार्ड बाय को स्ट्रेचर में दवाई के पैकेट रख स्टोर रूम में आते जाते देखा गया । सवाल यह उठता है कि जब जिला अस्पताल में मरीजों को स्ट्रेचर में ले जाने की जिम्मेदारी वहां के वार्ड बॉय और संबंधित स्टाफ को दी गई है तो फिर परेशान होकर अस्पताल में आ रहे मरीजों के परिजनों से स्ट्रेचर क्यों खिंचवाया जा रहा है। सवाल यह भी है की कार्यवाही होने के बाद भी जिला अस्पताल की व्यवस्था में सुधार क्यों नहीं आ रहा है और सबसे बड़ा सवाल यह है कि मामले का संज्ञान लेने के बाद क्या प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दोबारा इस पर कार्यवाही की जाएगी या फिर वर्षों से चली आ रही यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी।

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