करोड़ों खर्च के बाद भी आंगनबाडी केंद्रों के पास नहीं है स्वयं के भवन

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केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा संयुक्त रूप से महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जाता है और उन्हीं के माध्यम से विभिन्न तरह की योजनाएं गरीब वर्गाें तक पहुंचाई जा रही है परंतु आश्चर्य की बात यह है कि शासन के द्वारा करोड़ों रूपये आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में खर्च किये जा रहे है परन्तु बहुत से ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र है जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है कहीं पोषण आहार की समस्या है, तो कहीं बिजली-पानी, भवन जैसी मूलभूत सुविधा अब तक मुहैया नहीं हो पाई है। लालबर्रा विकासखण्ड के अंतर्गत २३९ आंगनवाड़ी एवं १३ मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र इस तरह कुल २५२ आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है जिसमें से २३६ के पास भवन है एवं १६ आंगनवाड़ी केन्द्रों के पास भवन नही है ऐसी स्थिति में १२ आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवनों में तो ४ आंगनवाड़ी केन्द्र अन्य शासकीय भवन व स्कूलों में संचालित किये जा रहे है। जिन आंगनवाड़ी केन्द्रों के पास भवन नही है उक्त स्थानों पर नौनिहाल बच्चों को अध्यायपन कार्य एवं अन्य गतिविधि करवाने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि शासन के द्वारा २ से ५ वर्ष के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित की जाती है परन्तु स्वयं का भवन नही होने के कारण बच्चों के साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नौनिहाल बच्चों के अभिभावक व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भवन निर्माण के साथ ही अन्य सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग शासन-प्रशासन से की है।

कहीं जमीन का अभाव तो कहीं निर्माण एजेंसी की लेटलतीफी से नहीं बना पाये है भवन

ेेलालबर्रा विकासखण्ड के अंतर्गत संचालित भवनहीन आंगनबाड़ी केंद्रों के कुछ केन्द्रों में भवन निर्माण के लिये शासन के द्वारा राशि तो स्वीकृत कर दी गई परंतु जमीन न होने के कारण भवन का निर्माण नहीं हो पाया और शासन से स्वीकृत राशि बिना भवन निर्माण के वापस चली गई। वहीं बहुत से ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र है जिनके भवन निर्माण में निर्माण एजेंसियों के द्वारा लेटलतीफी की जा रही है जिसकी वजह से भी उन्हें समय पर भवन नहीं मिल पा रहा है। यदि आंगनबाडी केंद्र के पास भवन ही नहीं होगा तो ऐसी स्थिति में अन्य सुविधाओं की कल्पना करना भी व्यर्थ है।

स्वीकृति के बाद भी नहीं बन पाये भवन

२५२ आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित है जिसमें से आंगनवाड़ी व मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र मिलाकर १६ केन्द्रों के पास भवन नही है जिसमें वाराटोला मिनी आंगनवाड़ी केन्द्र पिपरिया इसी तरह गोंडीटोला मिनी, पांडवटोला मोहगांव, सोनेवानी मिनी टेकाड़ी, बिठली -२, गनखेड़ा मिनी रानीकुठार, टेकाड़ी मिनी नहरटोला, आवासटोला मिनी रटेगांव, सुरजाटोला मिनी, बरबसपुर मिनी, मांझापुर मिनी, ददिया मिनी, ददिया आमाटोला ४, लालबर्रा ५, लालबर्रा ६, कटंगटोला शामिल है जिसमें १२ किराये एवं ४ शासकीय भवनों में संचालित किये जा रहे है जिसमें से कुछ आंगनवाड़ी केन्द्रों में भवन निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है परन्तु जमीन उपलब्ध नही होने व अन्य कारणों से भवनों का निर्माण नही हो पा रहा है।

चर्चा में महिला एवं बाल विकास विभाग लालबर्रा की प्रभारी परियोजना अधिकारी श्रीमती यशोदा भगत ने बताया कि लालबर्रा विकासखण्ड में २३९ आंगनवाड़ी केन्द्र एवं १३ मिनी केन्द्र है इस तरह २५२ आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किये जा रहे है जिसमें २३६ के पास भवन है, १६ के पास भवन नही है ऐसी स्थिति में १२ किराये एवं ४ शासकीय भवनों में संचालित किये जा रहे है साथ ही यह भी बताया कि भवनविहीन केन्द्रों में भवन निर्माण के लिए शासन से मांग भी की गई है परन्तु कुछ केन्द्रों में जमीन उपलब्ध नही होने के कारण निर्माण नही हो पा रहा है एवं किराये के भवन सुविधायुक्त लिया गया है ताकि बच्चों के खेलने व अन्य गतिविधिया संपन्न हो सके और शासन से मांग है कि जिन आंगनवाड़ी केन्द्रों में भवन नही है उक्त स्थानों पर जल्द भवन का निर्माण करवाये।

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