आखिरकार टूटी फूटी नहर का मरम्मती कार्य अभी तक प्रारंभ नही हुआ है। जिससे किसान के माथे पर बल पडऩे लगा है। आगामी एक माह के भीतर मानसून सत्र प्रारंभ होने वाला है। ऐसे में किसान इस बात से सबसे ज्यादा चिंतित है कि नहर में हुये होल मार्के अर्थात गड्डे की वजह से उसके खेत तक पानी कैसे पहुॅचेगा। हालांकि सिंचाई विभाग ने इस बात की पुष्टि गत दिनों ही कर दी है कि उन्होने इसे जिले मुख्यालय में स्टीमेट बनाकर भेज दिया है मगर जिला मुख्यालय से इस कार्य की स्वीकृति अभी तक प्राप्त नही हुई है। ऐसे में किसानों का चिंता करना लाजमी नजर आ रहा है।
५ वर्ष पूर्व हुआ था नहर का लाईनिंग कार्य
नहर का निर्माण हुये करीब ५ वर्ष हो चुका है। पूर्व समय नहर थी मगर उसका जीर्णोध्दार सीमेंटीकरण के रूप में ५ वर्ष पूर्व हुआ है। मगर इस कार्य में काफी घोर अनिमित्ता बरती गई है। नहर का सीमेंटीकरण कार्य होने से किसान वर्ग में काफी हर्ष व्याप्त था। मगर नहर के निर्माण के बाद जो सच नगर की गुणवत्ता को लेकर आया उससे सबको निराशा ही हाथ लगी है। पूर्व समय जब नहर का निर्माण कार्य हो रहा था तब भी लोगों ने इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाये थे मगर किसी ने कोई ध्यान नही दिया जिसका दंश आज किसानों को भोगना पड़ रहा है।
हमारे लिये जीवन दायिनी है बड़ी नहर – भरत डहारे
पद्मेश को जानकारी देते हुये भरत डहारे ने बताया कि बड़ी नहर हम लोगों के लिये जीवन दायिनी पानी के मामले में कहलाती है। इस नहर के पानी से ही हम लोग के घर के कुऐं, बोर व पानी के अन्य स्त्रोत को रिचार्ज मिलता है। मगर नहर की हालत काफी जर्जर हो चुकी है। जगह जगह गड्डे हो चुके है। कुछ दिन पूर्व इन क्षतिग्रस्त स्थानों पर विभाग द्वारा जरूर ठेकेदार के माध्यम से कार्य प्रारंभ करवाया गया था मगर एक माह बीत गया यह कार्य बंद हो चुका है। पिछले दिनों हुई बारिश से जो मिट्टी गड्डें भरने डाली गई थी वो भी आसमान से हुई बारिश की वजह से बह गई है। हम लोग छोटे कृषक है साथ ही नहर के किनारे रहते है। वर्तमान समय में हमें पानी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। जब भी नहर प्रारंभ होगी तो नहर में हुये गड्डो की वजह से यह पानी अन्यत्र बर्बाद होगा इस और विभाग को ध्यान देना चाहिये।
नहर के पानी में आश्रित है हमारी खेती – शिवम बोपचे
उमरवाड़ा के कृषक शिवम बोपचे ने पद्मेश को बताया कि उनकी पूरी खेती नहर के पानी पर ही निर्भर है। मगर देखा जा रहा है कि उन्हे उस मात्रा में पानी नही मिल पा रह है जिस मात्रा में पानी मिलना चाहिये। नहर में बड्े बड्े होल हो गये है जिससे पानी का रिसाव हो रहा है। जिससे उनके ग्राम तक उस फोर्स पर पानी उन्हे उपलब्ध नही हो पाता। जिसका असर हमारी फसल पर पड़ रहा है। वर्तमान मे नहर सूखी है ऐसे में विभाग को इस और ध्यान देते हुये तत्काल जगह जगह जो होल हुये है उनका सुधारीकरण कार्य करना चाहिये। श्री बोपचे ने कहा कि पूरे वारासिवनी खैरलांजी क्षेत्र के लिये बड़ी नहर खेती कार्य में सबसे ज्यादा लाभदायक साबित होती है। छोटे किसान हो या फिर बड़े किसान सभी इस नहर के पानी पर निर्भर रहते है मगर विभाग की लापरवाही की वजह से जो पानी उन्हे जिस मात्रा में मिलना चाहिये वो पानी इस नहर से बीते कुछ वर्ष से नही मिल पा रहा है।
जगह जगह से उखड़ गया लाईनिंग कार्य
श्री बोपचे ने बताया कि कई जगह से वर्ष १६-१७ में किया गया लाईनिंग कार्य उदड़ चुका है। हम लोगों ने इस बाबद अपने सिंचाई विभाग के अध्यक्ष को अवगत भी कराया जिन्होने विभाग में जानकारी भी दी मगर विभाग सोते हुये नजर आ रहा है। जबकि हम नहर के पानी का शुल्क हर वर्ष भरते है मगर विभाग हम किसानों की सुध लेने में कोई रूचि नही दिखाई दे रहा है।
जर्जर अवस्था में है नहर – रेकलाल ठाकरे
पद्मेश को जानकारी देते हुये रेकलाल ठाकरे कोस्ते निवासी कृषक ने बताया कि नहर काफी जर्जर अवस्था में है जिसके रखरखाव पर सिंचाई विभाग का कोई ध्यान नही है। जगह जगह नहर की पार पर गड्डे हो गये है जिसकी वजह से पानी आगे काफी सुस्त गति से बढ़ता है ऐसे में हम किसानों को उस मात्रा में पानी नही मिल पाता। जिससे हमें पानी के अन्य स्त्रोंतो पर आश्रित रहना पड़ता है। श्री कटरे ने बताया कि हम छोटे कृषक है जो नहर के पानी से ही अपनी फसल को सिंचित करते है।मगर पानी की अनुपलब्धता की वजह से कई मर्तबा हमारी फसल सूख तक जाती है। ऐसे में हम चाहते है कि नहर विभाग हमारी इस समस्या को गंभीरता से ले।
वारासिवनी खैरलांजी क्षेत्र को खेती को करती है सिंचित
गौरतलब है कि टूढ़ी बॉयी तट नहर वारासिवनी खैरलांजी क्षेत्र की जीवन दायिनी कहलाती है मगर नहर का जगह जगह से कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसकी वजह से किसानों को पानी नही मिल पा रहा है। वर्तमान समय में नहर में पानी न होने की दशा में इसका सुधार कार्य प्रारंभ हो जाना चाहिये था। आगामी जून माह से मानसून काल प्रारंभ हो जायेगा ऐसे में प्राकृतिक पर्षा के चलते किसान अपना खेती कार्य प्रारंभ कर देंगे। लेकिन अगर उस दौरान विभाग नहर का मरम्मती कार्य करेगा तो व्यवधान होना लाजमी है।
इनका कहना है –
दूरभाष पर पद्मेश को जानकारी देते हुये एच आर ठाकरे ने बताया कि उनके पद्भार के पूर्व तत्कालीन एसडीओं के द्वारा मरम्मत कार्य का ठेका दिया गया था और मेरे पद्भार लेने के पहले ही ठेकेदार की मियाद खत्म हो चुकी थी जिसे तत्कालीन एसडीओं ने पत्र भी जारी किया था। उक्त ठेकेदार के द्वारा गत दिनों मुझसे मुलाकात की गई जिसे हमने किसी प्रकार का कोई भुगतान नही किया है और उसे कहा कि जिस नियम व शर्त के आधार पर ठेका हुआ था उसके अनुसार विधिवत कार्य करके दे जिससे कि हम नहर का सफल संचालन कर सके।
एचआर ठाकरे एसडीओं
सिंचाई विभाग वारासिवनी










































