ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने समान नागरिक संहिता को जरूरी बताया है। उन्होंने ग्वालियर प्रवास के दौरान शनिवार को दूसरे दिन कहा ज्ञानवापी के निरीक्षण में प्रकट हुए भगवान विश्वेश्वर की पूजा-अर्चना की इजाजत मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी संरक्षण के लिए कहा है। संरक्षण से आशय केवल सुरक्षित रखने से नहीं है, उसे जीवित रखने से भी है। इसलिए भगवान विश्वेश्वर की पूजा-अर्चना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा तत्कालीन नेहरू सरकार हिंदू कोड बिल लाई थी, जिसका चारों पीठों के शंकराचार्य ने विरोध किया था। इससे बिल वापस लेना पड़ा था। किंतु पूर्व की सरकारों ने छोटे-छोटे संशोधन कर इसके कुछ अंश लागू कर दिए। हिंदू वाराणसी में 11 लाख शिवलिंगों की पूजा होगी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा वाराणसी में 11 लाख शिवलिंगों की पूजा होगी। उन्होंने कहा सनातन धर्म में विधान है किसी देवी-देवता का प्रकाट्य होने के बाद शुद्धि कराकर पूजा- अर्चना की जाती है। श्रवण मास में श्रद्धालुओं से शिवलिंग मंगाए गए हैं। अपने नाम के साथ कोई भी शिवलिंग भेज सकता है। उसी के नाम से शिवलिंग का पूजन किया जाएगा। ग्वालियर में यह शिवलिंग सूर्यकांत शर्मा को दिए जा सकते हैं। इनकी स्थापना वाराणसी के आश्रम में की जाएगी।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य के निर्देश पर पूजा-अर्चना करने वाराणसी गया था। किंतु रास्ते में रोक दिया। चूंकि पूजा की थाली लग चुकी थी। इसलिए बगैर पूजा किए अन्न-जल ग्रहण नहीं कर सकता था। इसलिए पांच दिन निर्जल रहा। उसके बाद महाराज के निर्देश पर प्रतीकात्मक पूजा कर वापस लौट आया। न्यायालय में याचिका लगाकर इस पर व्यवस्था देने का आग्रह किया है। हम लोगों ने मुगलकालीन फव्वारों के चित्र भी न्यायालय में प्रस्तुत किए हैं। कोई भी फव्वारा शिवलिंग के आकार का नहीं है। कोर्ट में यह मामला एक साल से अटका हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार भी इस मामले पर खामोश है। इसलिए शिवभक्तों से आग्रह किया था अपने घरों में भगवान विश्वेश्वर की पूजा करें।