सुहागिनों का महापर्व, हरियाली तीज सावन माह
के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता
है।इस दिन विवाहिता पति की दीर्घायु के लिए
निर्जला व्रत रखती हैं।साथ ही कुंवारी लड़कियां
मनचाहा वर पाने के लिए इस दिन शंकर-पार्वती
की पूजा करती हैं। इस साल हरियाली तीज महोत्सव शनिवार 19 अगस्त को मनाया जाएगा जिसकी तमाम तैयारियां पूर्ण कर ली गई है।हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है। इसे हरियाली तीज या श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिवजी की पूजा करने का विधान है। सुहागिन महिलाएं जहां अपने पति की दीर्घायु ,संतान की प्राप्ति और सुख समृद्धि के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर पाने के लिए ये व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। हरियाली तीज पर हरे रंग का महत्व होने की वजह से महिलाएं इस दिन हरी साड़ी और कांच की हरी चूड़ियां पहनती वही सावन झूला के आनंद के साथ साथ, नृत्य अन्ताक्षरी ,गीत, संगीत सहित विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन महिलाओं द्वारा किए जाते हैं ।जो हर साल की तरह इस वर्ष भी आयोजित किए जाएंगे। वहीं महिलाओं द्वारा यह महापर्व हर्षोल्लास ,पूर्ण उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाएगा।
यह व्रत स्वयं माता पार्वती जी द्वारा निर्मित किया गया है- पं कपिल देव शास्त्री
हरियाली तीज महोत्सव को लेकर की गई चर्चा के दौरान हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित कपिल देव शास्त्री ने बताया कि श्रावण मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है। महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं निर्जल व्रत कर पति की लंबी आयु अखंड सौभाग्य की कामना करती है। तो वहीं युवतियां भी इस व्रत को रख अच्छे वर की प्राप्ति और सौभाग्य के लिए प्राथनाएं करती हैं । उत्तर भारत में इसका ज्यादा चलन है। पंजाब, उत्तर भारत,और राजस्थान सहित अन्य जगहों पर 1 दिन पूर्व ही सावन का झूला डाला जाता है और सावन के गीत महिलाओं द्वारा गाए जाते हैं। विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन होते हैं। इस महापर्व में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विशेष महत्व है। कुछ लोग राधा-कृष्ण की भी पूजा करते हैं यह व्रत स्वयं माता पार्वती द्वारा निर्मित किया गया है। इसीलिए इसका विशेष महत्व है।