नगर में पोला पर्व मनाये जाने को लेकर तैयारियां व्यापक तौर पर कर ली गई है। पुलिस प्रशासन इस पर्व को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद हो गया है। इस दौरान पूरा बाजार गौवंश की साज सज्जा वह अन्य सामग्रियों से गुलजार रहा। जहां पर गौवंश मालिकों के द्वारा पहुंचकर अपने गौवंश को सजाने के लिए आकर्षक रंग बिरंगी रस्सी से बने सामान आकर्षक घंटिया रंग व रंगीन झिल्लियों की खरीदी की गई। ताकि अपने गोवंश की साज सज्जा कर सके वही इस दौरान लकड़ी के बने छोटे नंदी ने भी बाजार की शोभा बढ़ाई जहां पर लोगों ने अपने बच्चों के लिए पोले के अगले दिन तन्हा पोला के रूप में मनाए जाने वाला पर्व एवं बच्चों के मनोरंजन के लिए खरीद कर ले गये।
जय स्तंभ चौक में पूजे जायेगे गौवंश
यहां यह बताना लाजमी है कि स्थानीय जय स्तंभ चौक पर 14 सितंबर को बैल जोड़ियां अपनी उपस्थिति दर्ज करवायेंगी जहां पर उनकी पूजा अर्चना के बाद उन्हें दौड़ाया जायेगा। गौरतलब है कि परंपरागत ढंग से नगर में यह पर्व नगर के पटेल के घर से मनाया जाता है। इस पर्व मे सभी वर्ग के लोग अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। नगर का चौधरी परिवार अपने पूर्वजों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन आज भी कर रहे हैं। सुबह से ही उनके बाड़े में लोगों के मिलने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है। शाम को जय स्तंभ के लिये बैलों की पूजा के लिये आरती की थाल लेकर नगर का भ्रमण करते हुए जुलूस के रूप में चौधरी परिवार के सदस्य बाजे गाजे के साथ जय स्तंभ पहुंचते है जहां पर गणमान्य नागरिकों के साथ गोवंश की पूजा होती है और आतिशबाजी कर इस पर्व को मनाया जाता है। इस दौरान बैलों के साथ ही उनके स्वामियों को भी समानित किया जाता है।
गौवंश की खुशी का पर्व है पोला
गैरतलब है कि यहां पोला पर्व गोवंश का त्यौहार है जिसमें किसान अपनी खेती कार्य पूर्ण होने के बाद इस अवसर पर अपने बैलों को सजाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। जिसमें पहला दिन मोबिल पड़ता है जिसमें पहले सुबह गांव वंशों की पूजा अर्चना कर उन्हें भोग लगाया जाता है। दूसरे दिन उन्हें पोला पर्व पर आकर्षक रंग बिरंगी रस्सी एवं रंग लगाकर सजाया जाता है। इसके बाद दौड़ कार्यक्रम में शामिल होने के बाद उनकी पूजा कर दौड़ाया जाता है तत्पश्चात पूरे नगर में घर-घर ले जाकर उनकी पूजा करवाई जाती है।