एक वृध्दा अशियाने की तलाश मे

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आज भी बेसहारा महिलाओ का कोई सहारा नही है। अगर पति व बच्चे न हो तो उन्हे दर दर भटकने मजबूर होना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला ग्राम पंचायत वारा का है जहा जैवंता पटले एक अदद आशियाने की तलाश कर रही है। एक तो उसके परिवार मे कोई नही है वही यह बेसहारा वृध्दा का मकान बरसात की अतिवृष्टि के चलते ढ़ह चुका है। उसने इस संबंध मे कई बार सरपंच को भी सूचित किया है मगर किसी ने उसकी इस समस्या का हल नही किया है। जिसकी वजह से वो अपने गिरे हुये मकान के सामने ही झोपड़ी बनाकर रहती है। बताया जा रहा है कि अगस्त माह मे हुई जोरदार बारिश की वजह से उसका मकान गिर गया था। उस दौरान वो पड़ोसी के घर मे शरण ली हुई थी। मगर उसकी घर गृहस्थी का सामान पूरी तरह से दब गया था। आसपड़ोस के लोगो ने उसकी मदद की और उसे शरण दी। फिलहाल वो मजदूरी कर अपनी झोपडी मे बचे कुछे सामान के साथ जीवन निर्वाह कर रही है। इस संबंध मे पद्मेश को जानकारी देते हुये जैवंता पटले ने बताया कि अगस्त माह के आखरी समय मे उसका कच्चा मकान गिरा था। तब से ही वो दर दर की ठोकर खा रही है। फिलहाल उसने अपने गिरे हुये मकान के सामने पाल त्रिपाल व बल्ली की सहायता से एक छोटी सी झोपड़ी बनाई है। मेरे द्वारा सभी से अपनी व्यथा बताई गई है मगर मेरी तरफ किसी ने ध्यान नही दिया है। मे एक राईस मिल मे जाकर मजदूरी कर अपना जीवन निर्वाह कर रही हूॅ। मे चाहती हूॅ की सरपंच सहित सभी लोग मेरी मदद करे ताकि मेरा घर जो गिर चुका हुआ है वो बन जाये और मुझे एक आशियाना मिल जाये। जब इस संबंध मे पद्मेश ने दूरभाष पर ग्राम पंचायत सरपंच वारा सूर्यभान सिंह पुसाम से दूरभाष पर चर्चा की गई तो उनसे संपर्क स्थापित नही हो पाया।

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