देव उठनी एकादशी नगर सहित पुरे क्षेत्र भर मे हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर हिंदू धर्माबलंबी तुलसी और सालिकराम के विवाह के साक्ष्यी बने। वहीं दीपकों की लौ से घर आंगन जगमगाते रहे साथ ही आतिशबाजियों का दौर देर रात्री तक चलता रहा वही आंगनों मे बनाई कई अल्पनाऐं विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। इस दौरान तुलसी व सालिकराम की विशेष पूजा अर्चना का दौर शुभ मुहूर्त में किया गया। देर शाम से ही लोगों के घर आंगन रौशनी से जगमगाते हुये दिखाई दिये वहीं बाजार में भी रौनक दिखाई दी।
बाजार में रही रौनक
नगर मुख्यालय में देवनी उठनी एकादशी पर्व पर पूजन सामग्री की दुकाने सिंघाड़ा दुकान एवं सब्जी बाजार में काफी रौनक देखी गई और महिलाओं के द्वारा पर्व में लगने वाली सामग्रियों की खरीददारी की गई। इस पर्व पर सब्जी बाजार में विभिन्न प्रकार की भांजियां पहुंची जिसकी कीमत आसमान छू रही थी उसके बावजूद भी गृहणी महिलाओं ने पूजा के हिसाब से खरीदी की और गन्ने का मण्डप बनाकर सालिकराम की पूजा अर्चना की गई।
देव उठनी ग्यारस के बाद शादी ब्याह का दौर प्रारंभ
देव उठनी ग्यारस के बाद से ही शादी ब्याह का दौर प्रारंभ हो गया। ग्यारस के दिन से ही लोगों ने सगाई और विवाह मुहूर्तों के लिये बातचीत का दौर शुरू कर दिया है। लोगों ने एक दूसरे के यहॉं पर नये संबंधों को प्रागढ़ करने के लिये न्यौता पहुॅचना प्रारंभ कर दिया। वहीं शादी ब्याह के दौर की शुरूवात होने से व्यापारी वर्ग भी काफी खुश दिखाई दे रहा है।
मण्डई का दौर समाप्त मेले की होगी शुरूआत
गौतलब है कि देव उठनी ग्यारस के साथ ही मण्डई का दौर समाप्त हो गया है। अब मण्डई के स्थान पर लोग मेला का लुत्फ उठाने की तैयारियों मे जुट गये है। हालांकि क्षेत्र के कुछ मेला काफी प्रसिध्दी है। इसमें श्री राम बालाजी तीर्थ क्षेत्र रामपायली का मेला मध्य प्रदेश महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ में काफी प्रसिद्ध है यह 7 से 10 दिन का मेला होता है जिसमें दूर-दूर से सैलानी भगवान दर्शन के लिए आते हैं। इसके बाद लिंगमारा का मेला आता है वह भी काफी प्रसिद्ध है जहां दूर-दूर से लोग आते हैं इस प्रकार अन्य स्थानों पर भी मेले आयोजित किए जाते हैं। जिनका प्रारंभ कार्तिक पूर्णिमा से हो जाता है।
गन्नों की खूब हुई बिक्री
देव उठनी ग्यारस मे नगर के बाजार सहित प्रमुख चौक गन्नों से सॅजे दिखाई दिये। नगर पहुॅची गन्नों की खेप एक दिन पूर्व ही पहुॅच गई थी। हालांकि इस मर्तबा गन्ने महंगाई की मार से जूझते दिखे लेकिन फिर भी लोगों ने अपनी यथा स्थिति के हिसाब से इनकी खरीदी कर तुलसी विवाह को संपन्न कराया।
आकर्षक मंडप का किया गया निर्माण
यहां यह बताना लाजिमी है कि नगर सहित क्षेत्र में भगवान सालिकराम एवं माता तुलसी का विवाह धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप संपन्न किया गया जहां पर घरों में पर्व का उत्साह देखने को मिला। जिसमें मंडप का निर्माण आकर्षण का केंद्र रहा जहां पर गन्ने के मंडप का निर्माण किया गया तुलसी माता को साड़ी सहित आभूषण पहनकर तैयार किया गया। आकर्षक लाइटिंग एवं दीपों से घरों को सजाकर निर्धारित मुहूर्त पर ही पूजा प्रारंभ कर संपन्न की गई जिसके बाद जमकर आतिशबाजी की गई।
इस दिन भगवान विष्णु योग निंद्रा से जागते है
विदित हो कि इस दिन पांच माह बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जागकर सृष्टि के पालन का कार्यभार संभालते है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवउठनी एकादशी मां लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और द्राक्ष, ईख, अनार, केला, सिंघाड़ा आदि ऋतुफल श्री हरि को अर्पण करने से उनकी कृपा सदैव बनी रहती है। धार्मिक मान्यता है कि निद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी की पुकार सुनते हैं इस कारण लोग इस दिन तुलसी का भी पूजन करते हैं और मनोकामना मांगते हैं।