रूस ने हमें तबाह किया, हाइवे-बंदरगाह बना दो… यूक्रेन ने भारत से लगाई गुहार, मदद करेगी मोदी सरकार?

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रूस के भीषण हमलों का सामना कर रहे यूक्रेन ने भारत से मदद की गुहार लगाई है। यूक्रेन ने कहा है कि रूसी हमलों की वजह से देश तबाह हो गया है और अर्थव्‍यवस्‍था बर्बाद हो गई है। यूक्रेन ने अब भारत से पुर्ननिर्माण में मदद मांगी है ताकि वैश्विक निवेश को बढ़ावा दिया जा सके। यूक्रेन के उप वित्‍त मंत्री वोलोदमयर कूजयो ने गुजरात में आयोजित सम्‍मेलन में देश को पटरी पर लाने का प्‍लान पेश किया। उन्‍होंने कहा कि यह न केवल यूक्रेन बल्कि दुनिया के अन्‍य देशों के लिए भी लाभदायक होगा। यूक्रेनी अधिकारियों को गुजरात में मंच देने को भारतीय व‍िदेश नीति में बदलाव का संकेत माना जा रहा है। इससे पहले भारत ने रूसी हमले की आलोचना करने से मना कर दिया था। इससे यूक्रेन सरकार भड़क उठी थी।

यूक्रेन के अधिकारियों ने कहा कि युद्ध की चुनौती के बाद भी हमारे देश की अर्थव्‍यस्‍था में काफी तेजी है। यूक्रेन ने यह गुहार तब लगाई है जब भारत रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीद रहा है। भारत और रूस के बीच परंपरागत रिश्‍ते दशकों से बहुत मजबूत हैं। भारत तेल के अलावा रूस से हथियार से लेकर परमाणु तकनीक तक लेता है। यूक्रेन की सरकार चाहती है कि भारत आधारभूत ढांचों जैसे हाइवे, समुद्री और नदी बंदरगाह को बनाने, रेल रोड, स्‍टोरेज तथा वितरण में निवेश करे।

भारत क्‍या करेगा यूक्रेन की मदद ?

जेलेंस्‍की सरकार चाहती है कि भारत यूक्रेन के हजारों वर्ग किमी इलाके में इधर-उधर पड़ी बारूदी सुरंगों को हटाने में मदद करे। यूक्रेन की मांग पर भारत ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस बीच कई विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन के अनुरोध के बाद भी भारत वहां कोई निवेश नहीं करने जा रहा है। वह भी तब जब पश्चिमी देश हथियार दे रहे हैं जिससे यूक्रेन की लड़ाई लंबी खिंचती जा रही है। हालांकि अब पश्चिमी देशों के हथियारों का जखीरा खाली हो रहा है, इसलिए वे भी किनारा कर रहे हैं।

भारत के पूर्व राजदूत रहे राजीव भाटिया ने रूसी मीडिया स्‍पुतनिक से बातचीत में कहा कि भारत में दुनिया की करीब 18 फीसदी आबादी निवास करती है। यह नहीं भारत अभी विकासशील देश है जिसकी अर्थव्‍यवस्‍था केवल 3 ट्रिलियन डॉलर है। भारत ने हमेशा से ही इस संघर्ष के शांतिपूर्ण हल पर जोर दिया है। इस‍ वजह से युद्ध से हुए नुकसान का बिल किसी और को भरना चाहिए। वहीं कुछ अन्‍य विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि भारत को रूस के साथ अपने रिश्‍ते को देखते हुए तटस्‍थ रवैया बरकरार रखना चाहिए। रिटायर मेजर जनरल एस बी अस्‍थाना कहते हैं कि भारत भूराजनीतिक स्थिति और खर्च को देखकर यूक्रेन की मांग पर विचार करेगा। भारत को अभी देश में ही काफी काम करना है।

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