युवक को घर वापस लाने आर्थिक मदद की लगाई गुहार

0

मजदूरी करने महाराष्ट्र गया एक युवक अचानक से लापता हो गया। जो कई वर्षों तक घर वापस लौटकर नहीं आया। जिसपर उनके परिजनों ने उसे मरा हुआ समझकर उसकी तेरहवीं कर दी।लेकिन जिस युवक की उनके परिजनों ने तेरहवीं कर दी थी अब उसी युवक के 15 वर्ष के बाद जिंदा होने की खबर आई है। जहां न सिर्फ उस युवक की जिंदा होने की खबर उनके परिजनों को मिली है, बल्कि उस युवक से दुरभाष पर उनकी वार्तालाप भी हुई है। जिसको लेकर बैगा समुदाय के लोगों में खुशी का माहौल है। लेकिन जमशेदपुर से उस युवक को घर वापस लाने के लिए उनके पास पैसे नहीं है। जिस पर उक्त युवक के परिजनों ने बुधवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर युवक को वापस घर लाने के लिए आर्थिक मदद दिए जाने की गुहार लगाई है। जहां उन्होंने सर्व आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले कलेक्टर कार्यालय में एक ज्ञापन सौपकर उनकी आर्थिक मदद किए जाने की मांग की है।

साथियों के साथ मजदूरी करने महाराष्ट्र गया था युवक,अचानक हुआ था लापत
बुधवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में एक अजीब मामला सामने आया जहां जनजाति बैगा समुदाय के जिन लोगों ने अपने परिजन को मरा हुआ समझकर उसकी तेरहवीं कर दी थी। 15 वर्ष बाद उसके जिंदा होने की खबर मिली है।मामला संरक्षित जनजाति बैगा समुदाय से जुड़ा है।जानकारी के अनुसार जिले की पाथरी पुलिस चौकी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत लंहगाकन्हार के ग्राम सोमटोला के रहने वाला युवक ब्रजलाल पिता माहूं बैगा गांव अपने अन्य साथियों के साथ 15 वर्ष पहले यहां से मजदूरी करने के लिये नागपुर महाराष्ट्र चले गये था। लेकिन वह अपने साथियों के साथ बिछड़ गया था। जब कई साल तक वह वापस घर लौट कर नहीं आया तो उनके परिजनों ने उसे मरा समझ कर उसकी तेरहवीं भी कर दी थी और वे उसे भूल भी गए थे। लेकिन 15 वर्ष पूर्व लापता हुआ उसी युवक के अब जमशेदपुर में होने की खबर उनके परिजनों को मिली है। लेकिन उसे वापस लाने के लिए उनके पास पैसे नहीं है। जिसको लेकर वे आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं।

15 वर्षों तक दर-दर की ठोकरे खाते रहा युवक
बताया जा रहा है कि 15 वर्ष पूर्व महाराष्ट्र में अपने साथियों से बिछड़ने के बाद वह युवक अपने घर वापस आने के लिए दर-दर की ठोकरे खाता फिर रहा है। जो घर वापस तो आना चाहता था लेकिन सीधा-साधा होने व भाषा का ज्ञान नहीं होने के कारण वह ना ही अपने घर लौट पाया और ना ही किसी रिश्तेदार के यहां गया। बल्कि भटकते हुये ट्रेन से केरल चले गया। जहां सुपारी और नारियल के खेतों में 2 साल तक काम करके बिताया। इसके पश्चात उसने अपने घर वापसी का प्रयास किया पर फिर असफल हो गया। जिससे वह इधर-उधर भटकते हुये वेस्ट बंगाल पहुंच गया। कभी छत्तीसगढ़, कभी मसूरी, कभी दिल्ली तक पहुंचा। इसी क्रम में वह जमशेदपुर झारखंड पहुंच गया।

जमशेदपुर के पन्नासवानी गांव में है युवक
परिजनों द्वारा बताया गया कि घर वापस आने की चाह में इधर उधर भटकते हुए वह युवक सड़क के रास्ते से कोलकाता हाईवे पर जमशेदपुर से 18 किलोमीटर पन्नासवानी गांव पहुंच गया। जब वह इस हाइवे पर कमजोर बीमार हालत में पैदल जा रहा था, तब वहा के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मानवीय आधार पर उसका रेस्क्यू किया और साफ-सुथरे कपड़े,भोजन और रहने के लिए हाईव स्थित देवा होटल पलासबानी में आश्रय दिया गया। लगभग 8 महीने पश्चात जब वह कुछ अच्छी हालत में बोलने लायक हुआ तब आपसी बातचीत की भाषा में समझ और बातचीत के आधार पर उन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उसके द्वारा कहे गए गांव का नाम सोमटोला पाथरी और ब्रजलाल बैगा बताने के आधार पर बालाघाट के सामाजिक कार्यकर्ताओं भुवन सिंह कोर्राम सहित अन्य से संपर्क किया। जिसके आधार पर उसकी फोटो और नाम से उनका पता लगाकर उसकी जानकारी पुख्ता की गई। परिजनों से भेंट कर उसके संबंध में जानकारी हासिल की गई तो पता चला कि वह 15 साल से लापता हैं। जहां परिजनों को उसके जिंदा होने की जानकारी मिलते ही उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और अब 15 वर्ष पूर्व लापता हुए युवक को जमशेदपुर से वापस लाने के लिए वे प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं।

घर वापस आने के लिए उत्सुक है ब्रजलाल- भुवन सिंह कोर्राम
ज्ञापन को लेकर की गई चर्चा के दौरान सर्व आदिवासी समाज बालाघाट के अध्यक्ष भुवन सिंह कोर्राम ने बताया कि बैगा ब्रजलाल की फोटो सामने आने के पश्चात वे और अन्य पदाधिकारी जब उसके परिजनों से मिलने पहुंचे तो ज्ञात हुआ कि इन सभी ने ब्रजलाल के नहीं लौटने पर उसकी मृत्यु होने का अंदाजा कर लिया था। यही नहीं उन्होने तेरवही भी कर ली थी। लेकिन जब ब्रजलाल के जीवित होने की खबर परिजनों को दी गई तो परिवार वालों एवं ग्रामीणजनों को बहुत खुशी हुई। जिसके पश्चात इन सामाजिक कार्यकर्ताओं से ब्रजलाल के घर वापसी की गुहार लगाई गई। जिसके चलते आदिवासी विकास परिषद के पदाधिकारियों ने लंहगाकन्हार सरपंच के प्रमाणपत्र व बृजलाल के बने दस्तावेज जाबकार्ड व राशन कार्ड परची को अपने साथ लेकर जमशेदपुर पहुंचें। जहां वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बृजलाल से मिलाया। ब्रजलाल भी अपने घर आने के लिये उत्सुक पाया गया।

मौत होने के आशंका में कर दी थी तेरहवी- जेठ सिंह
वही ज्ञापन को लेकर की गई चर्चा के दौरान युवक बृजलाल के भाई जेठ सिंहने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते उनका भाई अपने साथियों के साथ मजदूरी करने के लिए 15 वर्ष पूर्व महाराष्ट्र गया था। जहां से वहां अचानक लापता हो गया।तीन-चार साल तक जब वह वापस घर लौटकर नहीं आया तो हमें लगा कि वह मर गया है जिसके चलते हमने उसकी तेरहवीं भी कर दी थी वही हम उसे भूल गए थे ।लेकिन अब पता चला है कि वह जमशेदपुर में है। हमने फोन पर उससे बात की है। वीडियो कॉल पर हमारी बातें हुई है। हम चाहते हैं कि वह जल्द से जल्द हमारे पास आ जाए और वह भी हमारे पास आना चाहता है ।लेकिन उसे लाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं है ।इसीलिए आज हम आर्थिक मदद मांगने कलेक्टर कार्यालय आए हैं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here