20 साल पहले 15 जून को आशुतोष गोवारिकर की लगान (Lagaan) स्क्रीन पर आई थी। फिल्म ने देश भर में धूम मचा दी और यहां तक कि विदेशी भाषा की फिल्म की श्रेणी में भी “लगान” मूवी ने ऑस्कर की शॉर्टलिस्ट में भी जगह बनाई थी। अब इसकी कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन “लगान” फिल्म के निर्माता-अभिनेता आमिर खान (Aamir Khan) के लिए एक बड़ा रिस्क था, क्योंकि ये वो समय था जब भारत मे क्रिकेट पर आधारित कोई फिल्म नही बनी थी। रेगिस्तान जैसे माहौल मे Lagaan फिल्म का गाना “चले चलो” के निर्माण के लिए इसने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता था।
निर्देशक सत्यजीत भटकल, जो Aamir Khan के टीवी शो “सत्यमेव जयते” के पीछे भी मुख्य व्यक्ति थे उन्होंने ढाई घंटे की एक डॉक्यूमेंट्री में Lagaan के निर्माण का वर्णन किया, जिसे मैडनेस इन द डेजर्ट कहा गया।
Lagaan का क्लाइमेक्स 10,000 लोगों की भीड़ के साथ शूट किया गया था।
मैच के दौरान इतनी बड़ी संख्या में दर्शकों को इकट्ठा करना एक फिल्म निर्माता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। इसके लिए आस-पास के क्षेत्रों से 10,000 लोगों को बुलाया गया उन्हें उस भीड़ का हिस्सा बनाया गया। इस भीड़ को शूट करने से पहले उन्हें कपड़े पहनाए गए, खाना खिलाया गया। इतना ही नहीं फिल्म में संवेदनशील माहौल बन सके इसके लिए भीड़ को तैयार किया गया। भीड़ इकट्ठा करने के लिए अमीर खान ने ‘आती क्या खंडाला’ गाना गया और उस दौरान जो भीड़ इकट्ठा हई उसे कैमरे में कैद कर लिया गया जिसने इस फिल्म को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शूटिंग के बीच में आशुतोष की पीठ में चोट लग गई थी जिसके कारण वह पूरे एक महीने तक बेड रेस्ट पर रहे थे। एक तो फिल्म की शूटिंग पहले से ही अपने निर्धारित समय से पीछे चल रही थी और बजट से अधिक भी थी इस कारण निर्माणकर्ता मूवी के निर्माण में और देरी हो, इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था। इसलिए, आशुतोष ने अपनी पीठ के बल फ्लैट लेटते हुए निर्देशन करने का फैसला किया।
एलिजाबेथ की भूमिका निभाने वाले ब्रिटिश अभिनेता राचेल शेली और कैप्टन रसेल की भूमिका निभाने वाले पॉल ब्लैकथॉर्न के अधिकांश संवाद हिंदी में थे, लेकिन वे भाषा का एक शब्द भी नहीं जानते थे। भाषा पर पकड़ बनाने के लिए, प्रोडक्शन ने उन्हें लंदन में एक हिंदी ट्यूटर दिया और भाषा के इस पाठ में लगभग छह महीने लगे। राचेल ने डॉक्यूमेंट्री में शेयर किया है कि वह भाषा की पेचीदगियों को सीखना चाहती थी ताकि वह फिल्म में एक सह-अभिनेता के साथ प्रदर्शन कर सके और समझ सके कि वे क्या कह रहे थे और इसलिए उन्होनें अपने केरेक्टर की तरह ही अपने संवादों की तुलना में बहुत अधिक हिंदी सीखी।