Bhopal News: मानसिक बीमारियों का भी शिकार भी बना रहा है माइग्रेन, अध्ययन का है यह निष्कर्ष

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माइग्रेन महज सिरदर्द नहीं देता, बल्कि यह मरीजों को मानसिक बीमारियों का भी शिकार भी बना रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के न्यूरोलाजी विभाग में हुए अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है। माइग्रेन के 132 मरीजों पर हुए शोध में 53 फीसद डिप्रेशन (अवसाद), 52 फीसद तनाव (स्ट्रेस डिसआर्डर) और 66 फीसद एंग्जायटी डिसआर्डर (चिंता की बीमारी) से पीड़ित मिले हैं। इनमें कुछ में एक से अधिक मानसिक बीमारियां मिलीं। शोध में शामिल 132 मरीजों में 110 महिलाएं थीं। इसकी वजह यह कि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले यह बीमारी ज्यादा होती है।यह अध्ययन वर्ष 2019 में किया गया। नवंबर 2020 में यह शोध ‘एक्सप्लोरेटरी स्टडी टू अंडरस्टैंड एसोसिएशन ऑफ इमोशनल को-मारबिटीज एंड स्लीप विद माइग्रेन” शीर्षक से इंटरनेशनल जर्नल ऑफ न्यूरो सांइसेज में प्रकाशित हुआ है। यह ऑनलाइन जर्नल है जो न्यूरो साइंस के क्षेत्र में काफी प्रतिष्ठित माना जाता है।

मुख्य शोधकर्ता एम्स भोपाल के न्यूरोलाजी के विभागाध्यक्ष डॉ. नीरेंद्र कुमार राय ने कहा कि माइग्रेन के चलते मानसिक बीमारियां भी होती हैं। इस पर देश में बहुत कम शोध हुआ है। ताजा शोध का फायदा यह होगा कि माइग्रेन के मरीजों की मनोचिकित्सकों से भी जांच व इलाज करवाया जाएगा। इससे उन्हें जल्दी फायदा होगा। मानसिक बीमारियों को गंभीर होने से रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि शोध में सामने आया है कि लोगों की माइग्रेन की तकलीफ जैसे-जैसे बढ़ी, मानसिक बीमारियां और तीव्र होती गईं। साथ ही नींद भी कम हुई। शोध में शामिल मरीजों की औसत उम्र 33 साल थी और मरीजों को औसतन सात साल से माइग्रेन था।

माइग्रेन के लक्षण: बार-बार सिरदर्द, सिर के किसी भी हिस्से से दर्द शुरू होना, तीन से चार घंटे तक दर्द रहना, उल्टी होना या उल्टी जैसा महसूस होना। दर्द के समय कोई भी आवाज अच्छी नहीं लगना।

ऐसे बचें: महीने में चार बार से ज्यादा दर्द होता है तो डॉक्टर को दिखाएं। जिस चीज से माइग्रेन बढ़ता है उनसे बचें जैसे खाली पेट रहना, नींद न होना, तेज खुशबू आदि।

माइग्रेन से होने वाली मानसिक बीमारियां

डिप्रेशन: इसमें चिंता, निराशा नकारात्मक विचार, खुदकुशी के विचार, ज्यादा नींद आना या नींद नहीं आने जैसे लक्षण होते हैं।

एंग्जायटी डिसआर्डर: यह चिंता की बीमारी है। इसमें घबराहट, पसीना, दिल की धड़कन बढ़ना, हाथ-पैर कांपना, पेशाब लगने जैसे लक्षण दिखते हैं।

स डिसआर्डर: काम के ज्यादा दबाव की वजह से स्ट्रेस डिसआर्डर होता है। इसमें सिरदर्द, तनाव, नींद नहीं आने जैसी दिक्कतें होती हैं।

हर दिन आ रहे 25 मरीज

गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी), भोपाल के मनोचिकित्सा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. आरएन साहू ने बताया कि माइग्रेन के चलते मानसिक बीमारियों से शिकार होेने वाले करीब 25 लोग रोज उनके पास आते हैं।

शोध में शामिल मरीजों का शैक्षणिक स्तर

अशिक्षित -14.4 फीसद

प्राथमिक -1.5 फीसद

हाई स्कूल – 20.5 फीसद

हायर सेकेंडरी -26.5 फीसद

स्नातक – 22.7 फीसद

स्नातकोत्तर – 14 .4 फीसद

माइग्रेन को बढ़ाने वाले कारक (ट्रिगर)- मरीजों का प्रतिशत

खाली पेट रहना- 51.5

यात्रा- 51.5

अनिद्रा- 49.2

तनाव- 50.8

परफ्यूम-39.4

(नोट- कई मरीजों में एक साथ कई कारक मिले हैं।)

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