पंजाब की सभी 117 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। अब सभी को परिणाम का इंतजार है। वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी। उसी दिन पता चलेगा कि पंजाब की जनता ने अगले 5 साल सेवा करने का मौका किसे दिया है। हालांकि इस बार बहुकोणीय मुकाबला होने का कारण साफतौर पर कोई नहीं कह पा रहा है कि पंजाब में किसकी सरकार बनेगी? किस पार्टी या गठबंधन को बहुमत मिलेगा? इस बात की प्रबल आशंका है कि किसी को स्पष्ट बहुमत ना मिले। उस स्थिति में सरकार कैसी बनेगी, इसकी अटकलें अभी से शुरू हो गई हैं। यहां जानिए संभावनाओं के बारे में
कभी साथ नहीं आ सकते कांग्रेस और AAP: यूं तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी स्पष्ट बहुमत हासिल करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन ऐसा होता नजर हीं आ रहा है। 117 सीटों में बहुमत का आंकड़ा 59 है। यदि कुछ सीटें कम पड़ती हैं तो न तो कांग्रेस मदद करेगी, ना ही आम आदमी पार्टी हाथ मिलाएगी। यानी इन दो दलों के मिलकर सरकार बनाने की संभावना बहुत कम है।
फिर साथ आ सकते हैं BJP+ और SAD: अब दूसरे पक्ष में भाजपा, उसके सहयोगी दल और शिरोमणि अकाली दल (SAD) और उसकी सहयोगी पार्टियां हैं। SAD पहले एनडीए का हिस्सा रह चुका है। विधानसभा चुनावों के दौरान दोनों दलों के नेताओं ने एक दूसरे पर कोई सीधा हमला भी नहीं बोला है। यानी साथ आने की गुंजाइश बची है। हालांकि SAD ने बसपा को साथ लेकर चुनाव लड़ा रहा है। पंजाब में सरकार बनाने में भाजपा का साथ देने या सहयोग करने पर बहनजी का क्या रुख होगा, इस पर सभी की नजर टिकी होगी
इन दो समीकरणों के अलावा पंजाब में कोई तीसरी समीकरण नहीं बन रहा है। यानी पंजाब में उस भाजपा की मदद से सरकार बनेगी, जिसका विरोध किसान आंदोलन के दौरान किया गया था। वैसे भाजपा को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि पंजाब का एक बड़ा वोट बैंक ऐसा है तो पीएम मोदी के साथ है और साइलेंट है। ऐसे में यदि भाजपा और उसके सहयोगी दलों को अनुमान से ज्यादा सीटें मिल जाएं और उसकी अगुवाई में सरकार बनती है तो भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इस स्थिति में भी सहयोगी दलों को साधना सबसे बड़ी चुनौती होगा।










































