BP, डायबिटीज नहीं जन औषधि दुकानों पर सबसे ज्यादा बिकती है इस बीमारी की दवा

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जरूरी नहीं है कि कोई चीज अगर महंगी है तो ही अच्छी है। सस्ती चीजें खराब होगी। इसी सोच के साथ सस्ती जन औषधि दवाओं की शुरुआत की गई थी। देशभर में जन औषधि केंद्र खोल गए, जहां बाजार से कम कीमत पर जेनरिक दवाईयां मिलती हैं। पिछले एक साल में जन औषधि स्टोर्स ने कुल 1236 करोड़ रुपए का कारोबार किया है । ये आंकड़े ये दिखाते हैं कि लोगों का भरोसा जन औषधि पर बढ़ रहा है। जहां आठ साल पहले इस जेनेरिक दवा स्टोरों से दवाईयों की सेल मात्र 12 करोड़ रुपये थी, अब वो बढ़कर 1236 करोड़ रुपये का हो गया है।

बढ़ रहा लोगों का भरोसा

जन औषधि केंद्रों से सेल में तेजी आई है। बीते साल के आंकड़े देखें तो जन औषधि के जरिए देश में दुकानदारों ने 247 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई की। वहीं पिछले एक साल में जन औषधि स्टोर्स ने कुल 1236 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ है। पिछले साल दिसंबर में जन औषधि केंद्रों की संख्या 10 हजार पहुंच गई है। आपको बता दें कि सरकार इन केंद्रों के जरिए कंट्रोल रेट पर दवाएं बेचती हैं। इन केंद्रों के जरिए 1800 दवाएं और 250 से ज्यादा मेडिकल डिवाइस लोगों को कम कीमतों पर उपलब्ध करवाया जाता है। मार्केट के मुकाबले ये दवाएं 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती है ।

सबसे ज्यादा किन दवाओं की सेल

टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्ट के मुताबिक इन औषधि केंद्रों पर सबसे ज्यादा बिक्री एंटी एसिडिटी दवाओं की होती है। औसत तौर पर 10.86 लाख यूनिट Pantoprazone और Domperidone की सेल होती है। ये दोनों ही दवा एसिडिटी और गैस के लिए इस्तेमाल होती है। वहीं बल्ड प्रेशर की दवा Telmisartan की सेल 9.32 लाख और Amlodipine की सेल 8.55 लाख है। आंकड़ों के मुताबिक देश के 756 में से 651 जिलों में 9484 जन औषधि केंद्रों पर हर दिन 10 लाख से अधिक लोग दवाएं खरीद रहे हैं। ये दवाएं ब्रांडेड की तुलना में पांच से छह गुना सस्ती होती हैं।

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