Covid के छह महीने, 75.8 फीसदी लोग बोले- मोदी सरकार ने स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला

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नई दिल्ली: पिछले छह महीनों में ‘आईएएनएस सी वोटर कोविड -19 ट्रैकर’ ने इतिहास की सबसे खतरनाक महामारी के दौरान भारत के मूड को जाना और अब उसके डेटा और विश्लेषण को आपके साथ साझा कर रहा है। बता दें कि आईएएनएस सी वोटर कोविड -19 ट्रैकर भारत में किया गया एक तरह का पोल और ट्रैकर है जो महामारी, उसके प्रभाव और लोगों के मूड को कवर करता है। इन 6 महीनों के दौरान हफ्ते-दर-हफ्ते हम भारत के मूड में हो रहे बदलाव और उनकी तुलनाएं आपके लिए सामने लेकर आए। ये परिवर्तन हमने सरकार पर भरोसे, तैयारी का सूचकांक, आय और रोजगार में परिवर्तन और कोविड-19 लक्षणों के प्रसार जैसे पहलुओं पर आंके हैं।

सरकार को मिली हाई अप्रूवल रेटिंग 

पिछले छह महीनों के दौरान ट्रैकर में एक चीज स्थिर पाई गई और वो है कोविड -19 महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिली हाई अप्रूवल रेटिंग। 12 सितंबर को आईं नई रीडिंग के अनुसार, तीन चौथाई लोगों ने कहा है कि मोदी सरकार ने इस स्थिति को अच्छी तरह से संभाला है। साथ ही सरकारी सूचकांक में लोगों का विश्वास भी मजबूत बना हुआ है। इसके मुताबिक 75.8 फीसदी उत्तरदाता मोदी सरकार के कामकाज से सहमत हैं जबकि 20.5 फीसदी उत्तरदाता असहमत हैं। इस तरह नेट सहमति का प्रतिशत 55.5 फीसदी है।

हालांकि, महामारी के पहले के महीनों में अप्रूवल रेटिंग अधिक नहीं रही और आर्थिक कठिनाई का दौर भी लंबे समय तक जारी रहा। इन महीनों के नंबर अप्रैल, मई और जून के महीनों में आए 80 और 90 प्रतिशत की ऊंचाई से बहुत दूर रहे। एक प्रश्न, “मुझे डर है कि मुझे या मेरे परिवार में किसी व्यक्ति को कोरोनावायरस हो सकता है” इस पर डर का सूचकांक 49.8 प्रतिशत सहमति में और 46.1 प्रतिशत की असहमति वाला है। इसका मतलब है कि वायरस का संक्रमण होने का डर ज्यादा लोगों में है।

लोगों में कोरोना का डर हुआ कम

यह संख्या अब पिछले महीनों की तुलना में बहुत कम है जो यह दर्शाती है कि लोगों में अब इसे लेकर डर कम है। बता दें कि नए ट्रैकर के लिए सैंपल साइज 4,853 है।हाल के महीनों में कोविड -19 मामले तेजी से बढ़े हैं और एक दिन में दर्ज हुए मामलों का नया रिकॉर्ड तो 95 हजार से अधिक मामले का है। ट्रैकर के एक अन्य सवाल, “मेरा मानना है कि कोरोनावायरस से खतरा अतिरंजित है”, इस पर 56 प्रतिशत ने सहमति और 33.5 प्रतिशत ने असहमति जताई है। इसका मतलब है कि कुल मिलाकर 22.5 प्रतिशत इस बात से सहमत हैं कि खतरा अतिरंजित है। हालांकि कुल मामलों की संख्या 46.6 लाख के पार होने के बाद लोगों की ऐसी सोच आश्चर्यचकितकरने वाली है लेकिन रिकवरी दर मजबूत होने से लोग अब महामारी के साथ जीने लगे हैं।संबंधित खबरेंWork From Home Benefits : वर्क फ्रॉम होम से 3 में से 1 भारतीय ने हर महीने बचाए करीब 5000 रुपएJobs in india : भारत में भर्तियों 15 साल के सबसे कमजोर स्तर पर- सर्वेwork from home side effects : कोरोना काल में घर से काम करना नींद पर पड़ रहा है भारी, सर्वे में हुआ खुलासा

इंडेक्स ऑफ प्रिपेयर्डनेस से पता चलता है कि 52.7 प्रतिशत लोगों ने तीन सप्ताह से अधिक राशन और दवाओं 

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