ब्लड बैंक संचालक के साथ 39 लाख की ठगी करने वाले आरोपित डा.विवेक चक्रवर्ती को क्राइम ब्रांच पुलिस ने बुधवार को न्यायालय में प्रस्तुत किया। जहां से न्यायालय के आदेश पर जेल पहुंचा दिया। ठगी की रकम बरामद करने के लिए इटावा पहुंची टीम खाली हाथ है। इसके बाद भी क्राइम ब्रांच पुलिस ने आरोपिताें की रिमांड बढ़ाने के लिए न्यायालय में आवेदन नहीं दिया। आरोपित जेल पहुंच चुके हैं, अब ब्लड बैंक संचालक से ठगी रकम आखिर किस तरह से आरोपिताें से वसूल की जाएगी, फिलहाल पुलिस के पास इसका कोई जबाव नहीं है।
गौरतलब है कि प्लाज्मा कांड के मुख्य आरोपी अजय त्यागी को श्रीराधास्वामी ब्लड बैंक का लैब टेक्नीशियन देवेंद्र गुप्ता चोरी छिपे ब्लड सप्लाई करता था। जिससे अजय त्यागी मिलावटी प्लाज्मा तैयार कर कोरोना मरीजों के स्वजनों को बेचा करता था। नकली प्लाज्मा चढ़ने से ओपोला अस्पताल में दतिया के कारोबारी मनोज गुप्ता की मौत हुई थी। जिस मामले में अजय त्यागी और देवेंद्र गुप्ता पकड़ गए तो स्वास्थ्य व ड्रग विभाग की टीम ने श्रीराधास्वामी ब्लड बैंक पर छापेमार कार्रवाई की थी। केंद्र से भी ड्रग विभाग की टीम आई थी । श्रीराधास्वामी ब्लड बैंक संचालक कप्तान कुशवाह के दोस्त ने मोबाइल पर ब्लड बैंक सील करने का आदेश दिखाते हुए बताया कि लैब सील होने से बचाना है तो 70 लाख स्र्पये लगेंगे । सौदा 39 लाख में तय हो गया और डा.विवेक चक्रवर्ती और संचालक का मित्र पैसा लेकर चले गए। इसके बाद केंद्र की टीम लैब पर जब 8 जनवरी को पहुंची तो मामले का खुलासा हो गया और लैब संचालक ने ठगी का मामला क्राइम ब्रांच में दर्ज करा दिया। जिसके बाद डा.विवेक चक्रवर्ती व संचालक का दोस्त पकड़ा गया था। डा.विवेक से पुलिस ने एक लाख स्र्पये बरामद भी कर लिए थे। बाकी की रकम बरामद करने के लिए डा.विवेक के घर इटावा पुलिस पार्टी बुधवार को पहुंची पर क्राइम ब्रांच का कहना है कि वहां पर पैसा नहीं मिला।
वर्जन-
ब्लड बैंक संचालक के साथ ठगी करने वाले आरोपियों को जेल पहुंचा दिया है और जो रकम ठगी थी उसका हिसाब किताब पुलिस को मिल चुका है।