G7 समिट में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद नरम पड़े ट्रूडो के तेवर, क्या अब सुधरेंगे भारत-कनाडा के रिश्ते?

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 हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और पीएम ट्रूडो के खालिस्तानियों को समर्थन देने के बाद से भारत और कनाडा के रिश्ते ठीक नहीं हैं। अलग-अलग मंचों से दोनों देशों ने इसे व्यक्त भी किया है,लेकिन अब लगता है दोनों देशों के बीच बढ़ती कड़वाहट कम हो सकती है। इटली में हाल ही में हुए जी7 समिट में पीएम मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की मुलाकात हुई। मोदी से मिलने के बाद जस्टिन ट्रूडो के तेवर नरम पड़े हैं। कनाडा के पीएम ने भारत के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर साथ काम करने की इच्छा जताई है।

सवालों पर दिखाई सतर्कता
जी7 समिट में मोदी संग बैठक के बाद ट्रूडो ने इसके बारे में पूछे गए सवालों के दौरान काफी सतर्क दिखे। उनसे निज्जर के मुद्दे को उठाने पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इससे कन्नी काट ली। ट्रूडो ने कहा कि कानून के शासन को बनाए रखते हुए भी साझेदारों के साथ काम करना महत्वपूर्ण है। शुक्रवार को इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की संक्षिप्त मुलाकात हुई थी। खुद मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें दोनों नेता हाथ पकड़े हुए बातचीत कर रहे हैं।

शनिवार की सुबह इटली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि मैं इस महत्वपूर्ण, संवेदनशील मुद्दे के विवरण में नहीं जाऊंगा, जिस पर हमें आगे काम करने की जरूरत है, लेकिन आने वाले समय में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई गई है। कनाडा ने जोर देकर कहा है कि फिलहाल भारत के साथ उसका सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा निज्जर हत्याकांड के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाना है।

कनाडा ने निज्जर की हत्या के सबूत नहीं दिए
भारत आधिकारिक तौर पर यह लगातार कहा है कि कनाडा ने अपने आरोपों के समर्थन में कोई सबूत या जानकारी नहीं दी है, जिसकी जांच भारतीय एजेंसियां कर सकें। यह प्रतिक्रिया अमेरिका के लगाए गए ऐसे ही आरोपों पर भारत की प्रतिक्रिया से बिलकुल अलग है। उसमें एक भारतीय अधिकारी जो जाहिर तौर पर कनाडाई जांच में भी शामिल हैकी कथित संलिप्तता के बारे में बताया गया था, जो अमेरिकी धरती पर एक अन्य खालिस्तान नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम कोशिश में शामिल था। भारत सरकार ने अमेरिकी आरोपों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकियों की साझा की गई जानकारी का भारत की सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि भारत जांच के निष्कर्षों के बारे में चुप है, लेकिन अगले सप्ताह इस मुद्दे पर चर्चा की उम्मीद है, क्योंकि अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन बातचीत के लिए भारत आ रहे हैं। अमेरिका भारत पर कनाडा की जांच का समर्थन करने के लिए भी दबाव बना रहा है।

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