इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Indore News। अमूमन ब्रेन स्ट्रोक 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को आता है, लेकिन वक्त के साथ यह बात बदलती जा रही है। अब युवाओं को भी यह समस्या होने लगी है। इसे यंग स्ट्रोक कहते हैं। भारत में हर 100 में से लगभग 25 ब्रेन स्ट्रोक रोगियों की आयु 40 वर्ष से नीचे है। हार्ट अटैक के बाद दुनिया भर में मौत का दूसरा सबसे आम कारण है ब्रेन स्ट्रोक है। बात अगर शहर ही की जाए तो प्रतिदिन आने वाले ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों में से 40 वर्ष से कम उम्र के रोगियों की संख्या 30 प्रतिशत है। यह जानकारी वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आशीष बागड़ी ने शुक्रवार को आयोजित वेबिनार में कही।क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित वेबिनार में ब्रेन स्ट्रोक के कारण, लक्षण, उपचार आदि के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। चर्चा में डॉ. बागड़ी ने बताया कि युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण हाई हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ब्लड शुगर, हाई कोलेस्ट्रॉल, शराब, धूम्रपान और मादक पदार्थों की लत के अलावा आरामतलब जीवन शैली, मोटापा, जंक फूड का अत्यधिक सेवन और तनाव है। युवाओं में यह बीमारी अधिक घातक साबित होती है, क्योंकि यह उन्हें जीवन भर के लिए विकलांग बना सकती है।
उन्होंने बताया कि जब दिमाग की एक नस में अचानक खून पहुंचना बंद हो जाए तो उसे ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। दिमाग की कोशिकाओं में रक्त में से ऑक्सीजन सतत जरूरत होती है। जैसे ही ऑक्सिजन पहुंचना बंद होती है तो मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचे और स्ट्रोक होने के साढ़े चार घंटे में विशेष इंजेक्शन लगवाएं। इससे रोगी काफी हद तक ठीक हो सकता है।