ITR Filing Deadline : केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की आखिरी तारीख को 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दिया है। लेकिन अलग-अलग टैक्सपेयर्स के लिए ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख अलग-अलग होती है। वेतनभोगी व्यक्तियों और बिना ऑडिट वाले हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी गई है, जिससे टैक्सपेयर्स को बदलावों के अनुसार अपने दस्तावेज तैयार करने का अतिरिक्त समय मिला है। वहीं, जिन व्यवसायों और पेशेवरों के खाते ऑडिट के अधीन हैं, उन्हें अपना रिटर्न 31 अक्टूबर 2025 तक दाखिल करना होगा। विलंबित और संशोधित रिटर्न 31 दिसंबर 2025 तक दाखिल किए जा सकते हैं, लेकिन देर से फाइल करने पर जुर्माना और ब्याज भी लग सकता है।
अलग-अलग टैक्सपेयर्स के लिए ITR दाखिल करने की तारीख
व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) और अन्य करदाता जिनके खातों का ऑडिट आवश्यक नहीं है, उनकी ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 है। विभिन्न टैक्सपेयर्स के लिए अलग-अलग ITR फॉर्म होते हैं, जैसे ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6, ITR-7, और ITR-V।
कंपनियां और प्रोप्राइटरशिप फर्में
जिन कंपनियों, प्रोप्राइटरशिप फर्मों और फर्म के कार्यशील भागीदारों के खातों का ऑडिट जरूरी है, उनकी ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2025 है।इन टैक्सपेयर्स को अपना ऑडिट रिपोर्ट 30 सितंबर 2025 तक जमा करना होगा।
अंतरराष्ट्रीय लेनदेन करने वाले टैक्सपेयर्स
जिन टैक्सपेयर्स के अंतरराष्ट्रीय लेनदेन होते हैं, उनकी ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2025 है। इन्हें सेक्शन 92E के तहत रिपोर्ट भी जमा करनी होती है। इन टैक्सपेयर्स को अपना ऑडिट रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2025 तक जमा करना होगा।
विलंबित ITR दाखिल करने की लास्ट डेट
सभी श्रेणियों के लिए विलंबित ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 है।
अगर आप लास्ट डेट के बाद ITR दाखिल करते हैं तो क्या होगा?
देरी से रिटर्न दाखिल करने पर अधिकतम ₹5,000 का जुर्माना लग सकता है। सेक्शन 271F के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर टैक्स चुका दिया गया है और केवल रिटर्न बाकी है, तो ब्याज नहीं लगेगा।
आकलन वर्ष 2025 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने का सीजन चल रहा है, और इस बार खासतौर पर कैपिटल गेन (पूंजीगत लाभ) के नियमों में कई बदलाव हुए हैं। बजट 2024 में घोषित नई तिथियों, स्लैब दरों और अपडेटेड फाइलिंग जरुरतों पर टैक्सपेयर्स को विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई है।