बीजिंग: भारत से लड़ने में व्यस्त अमेरिका के वर्चस्व को चीन अब कभी चकनाचूर कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिससे इस बात की काफी हद तक पुष्टि होती है, कि चीन अब एक और बिना पूंछ वाले स्टील्थ लड़ाकू विमान का परीक्षण कर रहा है। हालांकि फिलहाल ये साफ नहीं हो पाया है कि ये नया स्टील्थ लड़ाकू विमान है या नेक्स्ट जेनरेशन एडवांस स्टील्थ ड्रोन। द वॉर जोन की रिपोर्ट में संभावना जताई गई है कि डिजाइन के आधार पर ऐसा लग रहा है कि यह छठी पीढ़ी का एक और मानवयुक्त विमान हो सकता है। द वॉर जोन के मुताबिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये एक ऐसा विमान हो सकता है, जो चेंगदू के विशाल जे-36 सुपर-हैवी टैक्टिकल जेट के बजाय शेनयांग के जे-एक्सडीएस (जिसे कुछ लोग जे-50 भी कहते हैं) लड़ाकू विमान के समान होगा, या उससे सीधे तौर पर मुकाबला करेगा। अगर ये लड़ाकू विमान है तो सवाल ये हैं कि क्या ये चीन का तीसरा पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है ( जे-20 और जे-35 के बाद) या फिर चीन एक साथ दो तरह का छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बना रहा है, जैसा उसने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण के वक्त किया था।
कम से कम पांच तस्वीरों के आधार पर विश्लेषण करने पर कुछ बातों का जरूर पता चलता है। किसी भी तस्वीर में आगे के धड़ के ऊपरी हिस्से का इतना विवरण नहीं है, कि पता चल सके कि कॉकपिट मौजूद है या नहीं, यानि विमान में पायलट होगा या नहीं। इस डिजाइन की स्पष्ट विशेषताएं इस संभावना की ओर इशारा करती हैं कि यह एक ज्यादा मजबूत एयरक्राफ्ट होगा, चाहे उसमें चालक दल मौजूद हो या नहीं। तस्वीरों से पता चलता है कि इसमें दो इंजन इंटेक हैं और इसका शेप ‘W’ की तरह है। इसके अलावा बिना वर्टिकल स्टेबलाइजर के डिजाइन को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि यह, चीन की छठी पीढ़ी के स्टेल्थ जेट्स की दौड़ में नया और गंभीर दावेदार हो सकता है।
क्या चीन एक और छठी पीढ़ी का विमान बना रहा?
तस्वीरों से पता चलता है कि विमान का मुख्य ढांचा आगे से नुकीला और काफी ज्यादा एयरोडायनामिक है, जो मिड-सेट विंग्स में धीरे-धीरे मिल जाता है। इसके अलावा इसके दोनों पंख अत्यधिक पीछे की ओर मुड़े हुए हैं, और इनके सिरे कटे हुए दिखते हैं। इसमें हथियार या मिसाइल रखने के लिए इसके बॉडी पर कोई डिब्बा बना नहीं दिखता है, जिससे पता चलता है कि इसमें स्टील्थ टेक्नोलॉजी है। लेकिन इसके साथ साथ इसका चौड़ा फ्यूजलाज यह संकेत देता है कि इसके भीतर काफी मात्रा में फ्यूल और हथियार रखने की क्षमता है। इसके नोज पर एयर-डाटा प्रोब लगा हुआ है, जो आमतौर पर प्रारंभिक परीक्षण उड़ानों के दौरान देखा जाता है। इस विमान में ट्राइसाइकल लैंडिंग गियर और शायद ट्विन-व्हील नोज गियर दिख रहा है, जो इसके भारी-भरकम या नौसैनिक विमान होने की ओर इशारा करता है।
तस्वीरों को देखने पर पता चलता है कि इसमें कॉकपिट का ऊपरी हिस्सा नहीं है। इसीलिए एक्सपर्ट्स के बीच अलग अलग राय है कि ये फाइटर जेट मानवयुक्त है या फिर पूरी तरह से ऑटोनॉमस ड्रोन। अगर यह पायलट वाला विमान है तो यह शेनयांग की J-XDS (जिसे कुछ लोग J-50 भी कहते हैं) का प्रतिद्वंदी हो सकता है, जिसे चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ने विकसित किया है। लेकिन अगर यह एक एडवांस्ड ‘लॉयल विंगमैन’ ड्रोन है, तो इसे अमेरिका के ‘कॉलेबरेटिव कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (CCA)’ प्रोग्राम को काउंटर करने वाले हथियार के तौर पर देखा जा सकता है।
चीन की एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी का तेजी से विस्तार
अब ये विमान चाहे एयरक्राफ्ट हो या ड्रोन, लेकिन ये हथियार चीन के एयरोस्पेस सेक्टर में बिजली की रफ्तार से होने वाले विकास को दिखाता है। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने एक से बढ़कर एक लड़ाकू विमान, जिसमें J-20, J-35 जैसे पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान शामिल हैं, उन्हें बनाया है। इसके अलावा वो छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान J-36 को भी डेवलप कर रहा है। इसके साथ-साथ, चीन कई यूसीएवी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है, जिनमें भारी ड्रोनों से लेकर स्वार्म क्षमताओं वाले छोटे ऑटोनॉमस ड्रोन्स तक शामिल हैं। चीन की इस रणनीति का मकसद न सिर्फ अमेरिका और उसके सहयोगियों को चुनौती देना है, बल्कि भविष्य की युद्धनीति में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मानव-मशीन कॉर्डिनेशन को मैक्सिमम स्तर तक ले जाना है।