L’Oréal, विश्व का सबसे बड़ा कॉस्‍मेटिक ब्रांड:इसकी वर्कफोर्स में हर 10 में से 7 कर्मचारी महिलाएं हैं, इसकी मालकिन दुनिया की सबसे अमीर महिला

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L’Oréal…दुनिया की सबसे बड़ी कॉस्मेटिक ब्रांड है…वहीं फ्रांस्‍वा बेटेनकोर्ट दुनिया की सबसे अमीर महिला। दोनों में एक कनेक्शन है। फ्रांस्‍वा L’Oréal की मालकिन हैं। L’Oréal वो ब्रांड है, जिसने दुनिया को दो सबसे अमीर महिलाएं दी हैं। फ्रांस्‍वा से पहले उनकी मां लिलियन जब L’Oréal को चलाती थीं, तब वे सबसे अमीर महिला थीं। L’Oréal वुमन एंपावरमेंट को बढ़ावा देने के लिए भी जानी जाती है यही वजह है कि कंपनी की वर्कफोर्स में 69 फीसदी महिलाएं हैं। मौजूदा वक्त में दुनिया के स्किन केयर प्रोडक्ट बाजार में लॉरियल की सर्वाधिक 41 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह कंपनी 150 देशों में अपने प्रोडक्ट्स बेचती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लॉरियल हर साल औसतन 500 पेटेंट अप्लाई करती है। कंपनी के कुल 36 ब्रांड्स हैं जिनमें 88 हजार कर्मचारी काम करते हैं। फिलहाल लॉरियल अपने सीईओ निकोलस हिरोनिमस के बयान से चर्चा में हैं। उन्‍होंने हाल में कहा था कि भारत ब्यूटी मार्केट का ग्लोबल लीडर बनने की क्षमता रखता है।

एक फॉर्मासिस्‍ट ने की थी लॉरियल की शुरुआत

लॉरियल के फाउंडर का नाम यूगेन शूलर है। यूगेन के पिता एक पेस्‍ट्री शॉप में काम करते थे। ग्रेजुएशन के बाद यूगेन एक लैब में रिसर्च असिस्‍टेंट की नौकरी कर रहे थे। इसी बीच एक बड़े सैलून शॉप के मालिक ने शूलर को एक सिंथेटिक हेयर डाई बनाने में मदद के लिए बुलाया। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, फ्रांस की महिलाएं नियमित रूप से डाई में मिले हुए जहरीले केमिकल्‍स से परेशान थीं। उन केमिकल्‍स की वजह से उन्‍हें कई तरह की समस्‍याओं से उलझना पड़ता था। शूलर ने सेफ कलर डाई बनाने का फॉर्मूला तलाशना शुरु कर दिया। कई सालों की मे‍हनत के बाद 1909 में जाकर उन्‍होंने डाई बनाने का यह फॉर्मूला ढूंढ निकाला।

इसके बाद ही फ्रांस के रहने वाले यूगेन ने दो कमरों के अपार्टमेंट में ऑरियल नाम से कंपनी शुरू की। ऑरियल एक फ्रेंच नाम है, जो उस दौर का एक हेयर स्टाइल हुआ करता था। हालांकि बाद में उन्होंने कंपनी का नाम लॉरियल कर दिया। लॉरियल की स्‍थापना के बाद से 1930 तक फ्रांस में कई बदलाव हुए। हफ्ते में पांच दिन काम करने और दो हफ्ते की पेड लीव का ट्रेंड शुरू हुआ। नतीजतन, ज्यादातर लोग समुद्र के किनारे वक्त बिताने लगे। लॉरियल के फाउंडर शूलर ने इसे मौके के तौर पर देखा और सनस्क्रीन क्रीम लॉन्च कर दी। कंपनी को इसका फायदा मिला और 1945 से कंपनी ने अपने उत्पादों को बड़े स्तर पर विदेशों में एक्सपोर्ट करना भी शुरू कर दिया।

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