9 बार सांसद, कई बार केंद्रीय मंत्री, एक बार मुख्यमंत्री, दो बार विधायक, एक बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, गांधी परिवार के काफी ग़रीबी। कांग्रेस में कमल नाथ के अलावा और कोई दूसरा नेता नहीं है, जो राजनीति में इतना दमखम रखता हो। लोकसभा चुनाव 2024 में छिंदवाड़ा में हुए घटनाक्रम को देखने के बाद तो यही लगता है। कमल नाथ इस छिंदवाड़ा से आते है, जिसे वे छिंदवाड़ा मॉडल कहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए दो चुनाव 2014 और 2019 में भी प्रदेश की छिंदवाड़ा एकमात्र लोकसभा सीट है, जहां बीजेपी फतह के लिए लालायित है।
अब 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में भी पार्टी संशय की स्थिति में है। चिंता का विषय छिंदवाड़ा के ‘भारतीय जनता कांग्रेस’ के नेता बन गए हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कमल नाथ के बजाए उनके बेटा नकुल नाथ यहां से सांसदी का चुनाव लड़े थे। तब बीजेपी ने पूरी जोर आजमाइश करते हुए जीत का अंतर 37000 तक ला दिया था। तब भाजपा ने कमल नाथ और नकुल नाथ को जीत के लिए नाक के नीचे चने दबाने के लिए मजबूर कर दिया था।
कमल नाथ का गढ़ भेदने के लिए बीजेपी ने लगाया जोर
अब हुए लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने पूरी रणनीति के तहत छिंदवाड़ा सीट को जीतने का जतन किया। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने भी यहां रोड शो किया। मुख्यमंत्री कई बार छिंदवाड़ा पहुंचे, उन्होंने वहां रात भी बताई। छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधान सभा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए। पूर्व विधायक और मंत्री कमल नाथ के सहयोगी दीपक सक्सेना और उनके बेटे भी भाजपा में शामिल हो गए।