एमपी के छतरपुर जिले के निवासी महावत जगदीश दास गिरी और रूप सिंह परिहार ने हाईकोर्ट में अपनी एक याचिका दायर की। जिसमें उन्होंने कहा है कि राजस्थान वन विभाग के कर्मचारियों ने उनके हाथी को जब्त कर लिया है। इसके बाद उसे मथुरा में एक एनजीओ के संरक्षण में रख दिया है। इस पर याचिकाकर्ताओं ने वन विभाग की कार्य प्रणाली पर आरोप भी लगाए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके पास संबंधित हाथी को रखने की अनुमति थी। इसके बाद भी एनजीओ के दबाव में मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना अनुमति रद्द कर दी। इससे उनके पास अपने हाथी को वापस पाने के लिए कोर्ट जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। इसलिए उन्होंने याचिका लगाई है।
कोर्ट ने सुनाया आदेश
हाथी को रखने की अनुमति मांगने वाली याचिका के जवाब में एमपी हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने गुरुवार को राज्य सरकार को आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि वह संबंधित हाथी के स्वास्थ्य के बारे में कोर्ट को अवगत कराए। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि हाथी को उनसे छीनकर पुनर्वास केंद्र में रखा गया है।