दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक रद्द हो चुकी है। इसकी वजह पाकिस्तान की उस जिद को माना जा रहा है, जिसमें वह तालिबान को इस बैठक में शामिल करना चाहता था। पाकिस्तान इस मीटिंग में अफगानिस्तान की तरफ से तालिबान को शामिल करना चाहता था। यह मीटिंग न्यूयॉर्क में आयोजित होने वाली थी। हालांकि, शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा का 76वां सत्र रद्द कर दिया गया।एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने इस मीटिंग में तालिबान को शामिल करने का अनुरोध किया था, लेकिन सदस्य देशों में इस पर सहमति नहीं और बैठक को रद्द करना पड़ा। तालिबान ने पिछले महीने अफगानिस्तान में अशरफ गनी के नेतृत्व वाली सरकार को उखाड़ फेंका था और अब तालिबान में राज कर रहा है।भारत को मिला बाकी देशों का साथ
पाकिस्तान के अनुरोध पर भारत ने कुछ अन्य सदस्यों के साथ आपत्ति जताई और सहमति की कमी के कारण बैठक रद्द कर दी गई। नेपाल इस बैठक का मेजबान था, जो हर साल संयुक्त राष्ट्र महासभा आयोजित करता है। तालिबान को आज तक भारत ने मान्यता नहीं दी है। काबुल में नए शासन को अभी भी दुनिया ने मान्यता नहीं मिली है और शीर्ष कैबिनेट मंत्रियों को संयुक्त राष्ट्र पहले ही ब्लैक लिस्ट कर चुका है।
अफगानिस्तान की सरकार को मान्यता नहींअमीर खान मुत्ताकी अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री हैं और उनके संयुक्त राष्ट्र और संबद्ध बैठकों में भाग लेने की संभावना नहीं है। दरअसल, पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में कहा था कि तालिबान एक गैर-समावेशी सरकार है, दुनिया को अफगानिस्तान में शासन को स्वीकार करने या मान्यता देने से पहले सोचना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि काबुल में सरकार में महिलाओं, अल्पसंख्यकों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों-बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका का क्षेत्रीय संगठन है।
खाली कुर्सी के प्रस्ताव पर राजी नहीं था पाकिस्तान
जानकारी के अनुसार सार्क के अधिकांश सदस्य इस बात पर सहमत थे कि बैठक के दौरान अफगानिस्तान के लिए खाली कुर्सी रखी जा सकती है। हालांकि, पाकिस्तान सहमत नहीं हुआ और बैठक को रद्द कर दिया गया। वहीं, सार्क सचिवालय ने कहा कि सभी सदस्य देशों से सहमति की कमी के कारण बैठक रद्द कर दी गई थी।