बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स को दिए जाने वाले ट्रांजैक्शन चार्ज को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। यह बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। इससे एसेट मैनेजमेंट कंपनियां (AMC) अब एक तय निवेश सीमा से ऊपर के निवेश पर भी कोई ट्रांजैक्शन चार्ज नहीं देंगी।
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड वितरकों को दिए जाने वाले लेनदेन शुल्क को समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही वह प्रावधान भी खत्म हो गया है, जिसके तहत संपत्ति प्रबंधन कंपनियां(एएमसी) एक तय सीमा से ऊपर के निवेश पर यह शुल्क देती थीं। सेबी ने कहा कि यह निर्णय मई 2023 में सार्वजनिक परामर्श और इस वर्ष जून में उद्योग परामर्श के बाद लिया गया। पहले के नियमों के तहत, सेबी ने कहा था कि यदि वितरक किसी निवेशक से न्यूनतम 10,000 रुपये की सदस्यता राशि म्यूचुअल फंड में लाते हैं, तो वे ऐसे लेनदेन शुल्क पाने के पात्र होंगे।
पहले क्या था नियम?
पहले, अगर कोई डिस्ट्रीब्यूटर कम से कम ₹10,000 का निवेश लाता था, तो एएमसी उन्हें ट्रांजैक्शन चार्ज देती थी। यह व्यवस्था सेबी के 27 जून 2024 के मास्टर सर्कुलर में शामिल थी।
कैसे लिया गया फैसला?
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक सेबी ने मई 2023 में जन परामर्श और जून 2025 में उद्योग परामर्श किया। फीडबैक के बाद पाया गया कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को कमीशन या शुल्क तो मिल सकता है, लेकिन अलग से ट्रांजैक्शन चार्ज देने की आवश्यकता नहीं है।
क्या होगा असर?
- डिस्ट्रीब्यूटर के भुगतान प्रक्रिया में आसानी
- म्यूचुअल फंड सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी
- निवेशकों और कंपनियों के बीच शुल्क को लेकर भ्रम कम होगा