Su-57 की जगह F-35 लड़ाकू विमान खरीदकर चौंका सकता है भारत! वायुसेना के लिए कैसे होगा गेमचेंजर? समझिए

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वॉशिंगटन: भारतीय डिफेंस एक्सपर्ट्स के बीच कई महीनों से चर्चा तेज है की भारतीय वायुसेना के लिए अमेरिकी F-35 या रूसी Su-57 लड़ाकू विमान, दोनों में से कौन गेमचेंजर साबित हो सकता है? भारत का स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट प्रोजेक्ट एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) अभी कम से कम 10 साल दूर है। इस बीच चीन और अमेरिका जैसे देशों ने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को बनाने पर काम भी शुरू कर दिया है। चीन के पास पहले से ही दो तरह के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (J-20 और FC-31/J-35) रहे हैं। फिर भी कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन से युद्ध का खतरा काफी कम होने की वजह से शायद, भारत ने अभी तक पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के सौदे को दूर रखा हो। लेकिन जब पाकिस्तान ने चीन से J-35 खरीदने का फैसला कर लिया, तो फिर भारतीय वायुसेना के लिए खतरे की घंटी बज उठी।

पाकिस्तान वायुसेना को लेकर रिपोर्ट है कि अगले साल के अंत तक उसके बेड़े में चीनी स्टील्थ फाइटर जेट J-35 की तैनाती हो सकती है। इसलिए अब भारत पाकिस्तान के खतरे को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। पिछले 10 सालों में पाकिस्तान के साथ युद्ध की कई बार स्थितियां बन चुकी हैं और कम से कम दो बार दोनों देशों की वायुसेना की छोटी टक्कर भी हो चुकी है। ऐसे में अब भारत इंतजार नहीं कर सकता है। उसे चीन या रूसी, दोनों देशों के किसी ना किसी फाइटर जेट को खरीदने का फैसला करना ही होगा।

भारतीय वायुसेना को कितने स्टील्थ फाइटर जेट चाहिए?
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि भारतीय वायुसेना ने सरकार के सामने एक प्रजेंटेशन दिया है, जिसमें चीन और पाकिस्तान, दो मोर्चों पर शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए कम से कम दो से तीन स्क्वाड्रन यानी 40 से 60 पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की जरूरत बताई गई है। भारत के पास दो विकल्प हैं। अमेरिकी F-35 लाइटनिंग II और रूसी Su-57। रूस ने भारत को कई शानदार ऑफर दिए हैं, जिसमें सौ प्रतिशत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सोर्स कोड तक शेयर करने की बात कही गई है। रूस ने भारत को इसी साल से भारत में ही प्रोडक्शन शुरू करने और भारत के स्वदेशी AMCA प्रोग्राम में भी मदद करने का ऑफर दिया है। लेकिन अमेरिकी F-35 ही सही मायनों में असली स्टील्थ फाइटर जेट है। उसमें दुनिया का सबसे एडवांस स्टील्थ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, वर्ल्ड क्लास नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर क्षमताएं हैं और ये विमान युद्ध में अपने आप को साबित कर चुका है।

हालांकि टेक्नोलॉजी के लिहाज से Su-57 ज्यादा पीछे नहीं है, लेकिन उसकी स्टील्थ टेक्नोलॉजी हमेशा से सवालों के घेरे में रही है। भारत और रूस पहले एक साथ Su-57 को बना रहे थे। लेकिन कमजोर टेक्नोलॉजी और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने में रूस की आनाकानी की वजह से भारत प्रोजेक्ट से बाहर निकल गया था। जबकि अमेरिकी स्टील्थ फाइटर जेट F-35 की ऑल-एस्पेक्ट स्टेल्थ क्षमता इसे हवाई युद्ध में अजेय बना देती है। इसका रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) सिर्फ 0.0015 वर्ग मीटर है, जो एक उड़ते हुए कबूतर जितना छोटा होता है। यानि किसी एयर डिफेंस सिस्टम के लिए इसे इंटरसेप्ट करना करीब करीब नामुमकिन हो जाता है। दूसरी तरफ Su-57 का RCS करीब 0.1 से 0.5 वर्ग मीटर है, जिससे इसे इंटरसेप्ट किया जा सकता है। इसके अलावा F-35 के पास 360-डिग्री डिस्ट्रीब्यूटेड अपर्टर सिस्टम, सेंसर फ्यूजन और नेटवर्क-शेयरिंग सिस्टम, जिसकी वजह से ये विमान अपने आप में एक युद्ध कमांड सेंटर बन जाता है।

क्या F-35 खरीदकर चौंकाने की तैयारी में है भारत?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को एफ-35 का ऑफर दे चुके हैं। हालांकि हाल में उन्होंने भारत के खिलाफ कई बयान दिए हैं और पाकिस्तान को लेकर काफी प्रेम दिखाया है, जो इस सौदे को मुश्किल बना सकती है, लेकिन कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा वो भारत पर प्रेशर बनाने के लिए कर रहे होंगे, ताकि ट्रेड डील हो सके। इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने पहले कभी भी अमेरिकी फाइटर जेट का इस्तेमाल नहीं किया है, ऐसे में अगर एफ-35 खरीदने का फैसला किया जाता है तो लॉजिस्टिक्स और ट्रेनिंग में मुश्किलें आ सकती हैं। जबकि भारत पहले से ही रूसी Su-30MKI का प्रोडक्शन कर रहा है, ऐसे में Su-57 का प्रोडक्शन उसी प्लांट में शुरू करने में दिक्कतें नहीं आएंगीा। इसके अलावा भारत S-400 एयर डिफेंस सिस्टम इस्तेमाल करता है, जो Su-57 के साथ आसानी से इंटीग्रेट हो सकता है, लेकिन अमेरिका उसे F-35 से इंटीग्रेट करने की इजाजत नहीं देगा, जिससे भारत एक किल चेन तैयार नहीं कर पाएगा।

लेकिन यूरेशियन टाइम्स ने कहा है कि वायुसेना के कई अधिकारियों की पहली पसंद अमेरिकी F-35 है। पाकिस्तान के खिलाफ सीमा पार आतंकवादियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक करने में ये फाइटर जेट अत्यधिक कारगर हो सकता है। इसमें मौजूद स्टेल्थ क्षमता और डीप पेनेट्रेशन ताकत, भारतीय वायुसेना को चीन के अंदर भी घुसकर हमला करने में सक्षम बना सकती हैं। दूसरी तरफ Su-57 को एयर डिफेंस और सीमा पर घुसपैठ रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। रूस की हमेशा से युद्ध लड़ने की स्ट्रैटजी यही रही है और उसी के मुताबिक डिफेंसिव ऑपरेशन के लिए एसयू-57 को डिजाइन किया गया है। ऐसे में सवाल ये हैं कि भारत, रूस के साथ अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत करेगा या अमेरिका से F-35 खरीदकर ट्रंप प्रशासन के साथ संबंधों में सुधार की पहल करेगा? आने वाले कुछ महीनों में इस दिशा में कोई बड़ा ऐलान होना तय है और यह फैसला भारत की अगली पीढ़ी की वायु शक्ति की दिशा तय करेगा।

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