कृषि कानून विरोधी आंदोलन के बहाने गणतंत्र दिवस पर देश की राजधानी में हिसक उपद्रव मामले में दिशा रवि की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने टूलकिट बनाने वाले शांतनु और मुंबई हाई कोर्ट की वकील निकिता जैकब पर शिकंजा कस दिया है। दोनों के खिलाफ दिल्ली की अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। दोनों की तलाश में 10 से ज्यादा टीमें कई राज्यों में छापेमारी कर रही हैं। निकिता व दिशा से पूछताछ और 300 से अधिक Twitter अकाउंट की जांच में गहरी साजिश सामने आई है। साइबर सेल के संयुक्त आयुक्त प्रेमनाथ ने पुलिस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि जांच में नया नाम सामने आया है। दिशा रवि ने पीटर फ्रेडरिक को भी टैग किया था। पुलिस ने अब जूम से जानकारी मांगी है कि बैठक में शामिल 70 लोग कौन-कौन थे। खालिस्तानी संगठनों से जुड़े पीजेएफ के मो धालीवाल ने कनाडा में ही रहने वाली सहयोगी पुनीत के जरिये निकिता से संपर्क किया था। मकसद था कि गणतंत्र दिवस से पूर्व जोरदार तरीके से अभियान छेड़ा जाए। चूंकि दिशा रवि, ग्रेटा थनबर्ग को जानती थी, इसलिए इसमें उसकी भी मदद ली गई। इसके 15 दिन पहले 11 जनवरी को देश-विदेश में बैठे 70 लोगों ने जूम एप पर मीटिग की थी।
इसे खालिस्तान समर्थक संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीजेएफ) ने होस्ट किया था। इस वर्चुअल मीटिग में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि, अधिवक्ता निकिता जैकब व इंजीनियर शांतनु भी शामिल था। दिशा रवि व निकिता ने शांतनु व अन्य के साथ मिलकर टूलकिट (डाक्यूमेंट) तैयार किया था। दिशा रवि की गिरफ्तारी से पूर्व दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने 11 फरवरी को निकिता जैकब के मुंबई के गोरेगांव स्थित घर पर जाकर पूछताछ की थी। उसके बाद 13 फरवरी को दिशा रवि को गिरफ्तार किया। इसका पता चलते ही निकिता भूमिगत हो गई। पुलिस अब मो धालीवाल पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। कोशिश है कि उसे भारत लाकर जांच में शामिल कराया जाए।