Weather Alert 3 February : उत्तर भारत के मैदानी और गंगा के मैदानी क्षेत्रों में 3 फरवरी से हवाओं का रुख बदलेगा जिससे न्यूनतम तापमान में और वृद्धि दर्ज की जाएगी और उम्मीद है कि 6 फरवरी तक ज्यादातर जगहों पर शीतलहर का प्रकोप नहीं रहेगा। उत्तर प्रदेश में बारिश मुख्यतः 4 से 6 फरवरी के बीचे व्यापक रूप में देखने को मिलेगी। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के कुछ भागों, उत्तरी छत्तीसगढ़, उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश में 5 और 6 फरवरी को गर्जना के साथ कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा होने की संभावना है। मौसम विभाग ने जनवरी की बारिश के बाद अब फरवरी में भी अच्छी बरसात की आशंका जताई है। ठीक एक महीने बाद यानी फरवरी के आरंभिक दिनों में दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के तमाम क्षेत्रों में व्यापक वर्षा होने के संकेत मौसम की तरफ से मिलने शुरू हो गए हैं। मौसम विभाग के मुताबिक इस समय एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में आ रहा है। इन दिनों देश में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। उत्तर भारत से चली शीतलहर की चपेट में मध्य भारत सहित अन्य क्षेत्रों के भी राज्य हैं। इस ठंड के बीच कहीं-कहीं पर बारिश का अनुमान है जो कि मुसीबत पैदा करेगा। मौसम के जानकारों ने चेताया है कि अभी इस जानलेवा ठंड से राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है। 1 फरवरी से नया महीना शुरू हो रहा है और नया सप्ताह भी। इस दौरान शुरुआती तीन से चार दिनों तक इसी तरह मौसम बिगड़ा रहने की संभावना है। जनवरी के बाद अब फरवरी में भी बरसात की संभावना बन रही है। दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना है। एक साथ कई प्रभावी मौसमी सिस्टमों के संयुक्त प्रभाव से 3 फरवरी से दिल्ली में मौसम बदलेगा, बादल छाने लगेंगे और संभवतः बारिश की गतिविधियां भी शुरू होंगी। जानिये संपूर्ण देश के मौसम का अनुमान।
दिल्ली में चार और पांच फरवरी को बारिश की संभावना
दिल्ली में फरवरी के पहले सप्ताह में बारिश हो सकती है। दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में मध्यम से भारी बारिश के साथ बादलों की तेज गर्जना, बिजली कड़कने और ओलावृष्टि होने की घटनाएं भी हो सकती हैं। बरसात के बाद न्यूनतम तापमान जरूर बढ़ जाएगा लेकिन बरसात खत्म होने के बाद जब उत्तर से ठंडी हवाएं आएंगी तो एक बार फिर से लोगों को सर्दी कांपने को मजबूर कर देगी। दिल्ली समेत मैदानी राज्यों के मौसम को प्रभावित नहीं कर पाएगा। इसके ठीक पीछे एक अन्य पश्चिमी विक्षोभ आने वाला है जो 2 फरवरी को उत्तर भारत में दस्तक दे सकता है। इसके साथ ही एक ट्रफ भी उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से अरब सागर तक बनेगी। साथ ही मैदानी क्षेत्रों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी विकसित होगा। एक साथ कई प्रभावी मौसमी सिस्टमों के संयुक्त प्रभाव से 3 फरवरी से मौसम बदलने की संभावना है। बादल छाने लगेंगे और बरसात की गतिविधियां भी शुरू होंगी। लेकिन बारिश राजधानी के लोगों को 4 और 5 फरवरी को सबसे ज्यादा भिगोएगी।
4 और 5 फरवरी को बिगड़ेगा मौसम
स्कायमेट वेदर के अनुसार, बारिश राजधानी के लोगों को 4 और 5 फरवरी को सबसे ज्यादा भिगोएगी। इन दो दिनों के दौरान दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में मध्यम से भारी बारिश के साथ बादलों की तेज गर्जना, ओलावृष्टि होने की घटनाएं भी हो सकती हैं। फरवरी के आरंभिक दिनों में दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के तमाम क्षेत्रों में व्यापक वर्षा होने के संकेत मौसम की तरफ से मिलने लगे हैं। एक अन्य पश्चिमी विक्षोभ आने वाला है जो 2 फरवरी को उत्तर भारत में दस्तक दे सकता है। एक सशक्त ट्रफ भी उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से अरब सागर तक बनेगी। मैदानी क्षेत्रों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी विकसित होगा।
दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में इस साल झमाझम बारिश होगी। मानसून का आगाज का काफी अच्छा होने की संभावना है। स्काईमेट वेदर की ओर से रविवार को जारी संभाव्यता रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार मानसून के दौरान खूब बारिश होगी। 2021 में दीर्घावधि औसत वर्षा 880.6 मिमी की तुलना में सामान्य बारिश की रेंज 96 से 104 फीसद के उच्चतम स्तर पर रहने की उम्मीद है।
स्काईमेट वेदर की इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान व्यापक रूप से नीचे है और ला नीना की स्थिति अपने चरम पर पहुंच गई है। समुद्र सतह के तापमान में जल्द गिरावट होने की संभावना है। इस कारण ला नीना की स्थिति में भी बदलाव देखने को मिलेगा। मानसून के दस्तक देने के समय यह 50 फीसद तक कम हो सकता है। वैश्विक मौसम की परिस्थितियों के आकलन से भी यही संकेत मिले हैं कि 2021 में मानसून सामान्य बारिश वाला होगा
गौरतलब है कि बीते साल मानसून की लगाम ला नीना के हाथों में थी जो इस समय अपने चरम पर है। वसंत ऋतु से यह कमजोर होने लगेगा और मानसून सीजन में इसके तटस्थ रहने की संभावना है। इसका मतलब यह हुआ कि कमजोर होते ला नीना के साथ मानसून 2021 की शुरुआत होने वाली है। अप्रैल में जारी होने वाले स्काईमेट के मानसून पूर्वानुमान में इस बारे में अधिक विस्तार से जानकारी मिलेगी।
पिछले साल अच्छा रहा था मानसून
पिछले वर्ष देशभर में लगातार चार सप्ताह तक तेज बारिश हुई थी। जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिमी मानसून के दौरान देश में लंबे समय के लिए 109 फीसद वर्षा हुई। 2020 का वर्ष बारिश के मामले में तीसरे पायदान पर रहा था। 1994 में सर्वाधिक 112 फीसद और 2019 में 110 फीसद दीर्घावधि वर्षा हुई थी।