जितेंद्र मोहन रिछारिया, इंदौर, World Radio Day 2021। देश में रेडियो प्रसारण शुरू होने के करीब सौ साल होने को हैं। इस दौरान तकनीक बदल गई, लेकिन रेडियो का महत्व कम नहीं हुआ। पहले भारतीय प्रसारण सेवा, फिर आल इंडिया रेडियो, इसके बाद आकाशवाणी के रूप में रेडियो अस्तित्व में रहा। विविध भारती और एफएम प्रसारण ने मनोरंजन को नई दिशा दी। अब एक और नया आयाम कम्युनिटी रेडियो लगातार विस्तार पा रहा है। इस समय मध्य प्रदेश में कई कम्युनिटी रेडियो स्टेशन प्रसारण कर रहे हैं। इनमें नौ तो सरकारी ही हैं जिनमें आठ आदिवासी क्षेत्रों में सूचना और शिक्षा के साथ अपनी संस्कृति से जोड़े रखने में जुटे हैं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कहते हैं तो पूरा देश उस दिन उनकी कही बातें तो सुनता ही है, कई दिन तक उन्हें गुनता भी है।
साफ है, महत्व कही गई बातों की उपयोगिता का है। यही मूल कम्युनिटी रेडियो का है। इसमें समुदाय विशेष के लोगों के लिए समुदाय द्वारा समुदाय पर बने कार्यक्रमों का प्रसारण होता है। अपनी भाषा-बोली में बात सबको अच्छी लगती है। इसीलिए तो धार जिले के नालछा में अगर रेडियो वन्या भीली में प्रसारण कर रहा है तो श्योपुर के सेसईपुरा में सहरिया समुदाय के बीच भी रेडियो वन्या के कार्यक्रम सुने जा रहे हैं। वर्ष 2008 के आसपास मध्य प्रदेश में चंदेरी से शुरू हुई कम्युनिटी रेडियो की यात्रा प्रदेश में अब अच्छी-खासी दूरी तय कर चुकी है। प्रदेश में आदिम जाति कल्याण विभाग के आठ स्टेशन रेडियो वन्या के नाम से अलग-अलग समुदायों के बीच प्रसारण कर रहे हैं। संस्कृति विभाग का आजाद हिंद रेडियो राजधानी भोपाल में आजादी की कहानियां सुना रहा है, तो कुछ विश्वविद्यालयों के कैंपस रेडियो भी विद्यार्थियों के बीच लोकप्रिय हैं।
दरअसल, कम्युनिटी रेडियो स्टेशन शुरू करने के लिए बहुत बड़े सेटअप की आवश्यकता नहीं होती। केंद्र सरकार से अनुमति के बाद नियम-निर्देशों के तहत इसे कहीं भी प्रारंभ किया जा सकता है। आकाशवाणी समाचार भोपाल के संजीव शर्मा बताते हैं, समाचार और समसामयिक कार्यक्रमों के लिए आकाशवाणी का अपना महत्व है तो छोटे समुदाय या इलाके विशेष में प्रसारण के लिए कम्युनिटी रेडियो बहुत ही प्रभावी तौर पर सामने आ रहा है।
कम्युनिटी रेडियो के जानकार मनोज कुमार का कहना है कि अपनी भाषासंस्कृति को बचाने की दिशा में ये छोटेछोटे रेडियो स्टेशन बड़ा काम कर रहे हैं। रेडियो वन्या आदिवासी समुदाय की भाषा-बोली में कार्यक्रम प्रसारित करने के साथ ही उन्हें आर्काइव भी कर रहा है। इससे कार्यक्रमों का दस्तावेजीकरण भी हो रहा है। जनसंचार शिक्षण-प्रशिक्षण से जुड़ीं रचना जौहरी कहती हैं कि कम्युनिटी रेडियो अभी अपने प्रभाव के मुकाबले बहुत कम उपयोग हो रहा है। इसकी संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है। खासतौर पर शैक्षिक परिसरों में तो इसका बहुत ही व्यापक असर देखने में आया है। बड़ी टाउनशिप में इसे लेकर नवाचार किया जा सकता है।