भोपाल और इंदौर में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी को पुलिस आयुक्त बनाया जा सकता है। इनकी मदद के लिए अतिरिक्त, संयुक्त और उप आयुक्त तैनात किए जाएंगे। इनके बीच कार्यों का स्पष्ट बंटवारा होगा, ताकि अपराध नियंत्रण पर प्रभावी कार्रवाई हो सके। पुलिस मुख्यालय इसको लेकर पूर्व में शासन को प्रस्ताव भेज चुका है लेकिन आयुक्त प्रणाली पर कोई निर्णय नहीं होने से कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि प्रभावी पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को आयुक्त बनाए जाने की उम्मीद है। संयुक्त आयुक्त के दो-दो, अतिरिक्त आयुक्त के तीन से चार और उप आयुक्त के छह से आठ अधिकारी तैनात किए जाएंगे। राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को उपायुक्त बनाया जा सकता है।
आइटी और इंटरनेट मीडिया से उपजे अपराधों में मिलेगी मदद
सूचना प्रौद्योगिकी की मदद से होने वाले अपराधों की वजह से पुलिस का काम काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। गृहमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अपराध को अंजाम दिया जा रहा है। इनकी विवेचना के लिए अधिकारी को सूचना प्रौद्योगिकी में दक्ष होना चाहिए। जब नई व्यवस्था लागू होगी तो ऐसे अपराधों पर नियंत्रण करना तुलनात्मक रूप से आसान होगा। निगरानी की व्यवस्था चाक-चौबंद रहेगी।
आइएएस वर्ग नहीं चाहता अधिकारों में कमी
प्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लागू करने के प्रयास कई बार हुए हैं, पर ये सफल नहीं हो पाए। दरअसल, आइएएस अधिकारी इस बदलाव को लेकर कभी सहमत नहीं हुए। वे अधिकारों में कटौती कतई नहीं चाहते हैं। यही वजह है कि 2018 में जब राजस्व विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया तो उसको लेकर अधिकारी लामबंद हो गए थे। अभी मजिस्ट्रेट को भारतीय दंड संहिता के तहत कई अधिकार मिले हुए हैं। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा यह है कि कलेक्टर विकास के कार्यों पर ध्यान केंद्रित करें और पुलिस कानून व्यवस्था का काम संभालंे। वैसे भी केंद्र सरकार की कई योजनाओं का क्रियान्वयन समयसीमा में करना होता है, जिसकी जिम्मेदारी कलेक्टर की होती है।
मौजूदा व्यवस्था ज्यादा बेहतर: केएस शर्मा
पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा का कहना है कि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक की प्रणाली ज्यादा बेहतर है। इसमें व्यक्ति समस्या के समाधान के लिए दो मंच मिलते हैं। इसमें नियंत्रण भी बेहतर रहता है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में यह जरूर है कि एक एजेंसी होने से जिम्मेदारी तय हो जाती है। भोपाल और इंदौर की जनसंख्या और क्षेत्रफल भी बढ़ रहा है इसलिए चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। यह बात सही तो है, पर हमें यह भी देखना होगा कि कहीं एक व्यवस्था होने से नुकसान न हो जाए। मुुंबई में पुलिस कमिश्नर प्रणाली है। वहां नेताओं और पुलिस अधिकारियों का गठजोड़ बनने की बात अक्सर सामने आती हैं। पुलिस कमिश्नर प्रणाली को पुलिस सुधार का अंग मान लिया गया है, जो गलत है।
पूरे अधिकारों के साथ व्यवस्था लागू हो: एसके राउत
पूर्व पुलिस महानिदेशक एसके राउत ने मुख्यमंत्री के भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से ओडिशा में पुलिस कमिश्नर को न्यायिक शक्तियां भी दी गई हैं, उसी तरह से मध्य प्रदेश में भी लागू किया जाना चाहिए। इसकी सार्थकता भी तभी होगी।
बेहतर काम रही पुलिस व्यवस्था और मिलेगी ताकत: वीडी शर्मा
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा के नेतृत्व में कानून व्यवस्था बेहतर तरीके से काम कर रही है। प्रदेश के दो बड़े शहर भोपाल और इंदौर में कमिश्नर प्रणाली लागू करने के निर्णय से और ताकत मिलेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री को बधाई देता हूं और प्रदेश की जनता को शुभकानाएं कि उन्हें अब और बेहतर पुलिस प्रशासन व्यवस्था मिलेगी।
घोषणा सराहनीय पर लागू हो जाए
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के निर्णय संबंधी घोषणा को सराहनीय बताते हुए कहा कि यह लागू हो जाए, क्योंकि एक वर्ग विशेष इसका विरोध करता आया है। इसके पहले भी कई घोषणाएं की गई हैं, जो अभी तक अधूरी हैं। वैसे भी पुलिस कमिश्नर प्रणाली की घोषणा पहले भी कई बार की जा चुकी है।