अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा गर्रा का वनस्पति उद्यान

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जिला मुख्यालय से सटा गर्रा वनस्पती उघान दिन बा दिन अपनी बदहाली पर आँसू बहाता नजर आ रहा है।जिसपर वन विभाग का कोई ध्यान नही है।हालात कुछ इस तरह बत्तर हो रहे है कि गर्रा गार्डन को डेवलप करना तो दूर की बात, वहां जो बचे कूचे संसाधन है उसका तक मेंटनेंस नही किया जा रहा है।शायद यही वजह है कि बॉटनिकल गार्डन की हालत दिन बा दिन खस्ताहाल हो रही है।और फैमेली वाले लोग लगातार इस उघान ने अपनी दूरियां बना रहे है। इस गार्डन की हालत इतनी दयनीय हो चुकी है कि कोविड़ काल के पूर्व लाखों रुपए की लागत से बने गया वॉच टावर ,2 पगौड़े जमीन दोष हो गए हैं। तो वहीं फेंसिंग वाल, फेंसिंग जालियां भी जहां कहां से टूट होकर खराब हो चुकी है इसके अलावा अधिकारियों कर्मचारियों के लिए नदी किनारे बनाया गया रेस्ट हाउस भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। जहां छत पर लगा प्लास्टर आए दिनो गिरता रहता है।इसके अलावा भवन भी काफी जर्जर हालत में नजर आ रहा है। हैरत की बात तो यह है कि रोजाना आने वाले युवकों से 10 रु प्रति व्यक्ति और 50 से 100 रु वाहनों का चार्ज वसूलने वाला वन विभाग इस उघान की मरम्मत तक नहीं कर पा रहा है।जिसपर जिम्मेदारो का कोई ध्यान नही है।

47 हेक्टयर यानी 116 एकड़ में फैला है गर्रा गार्डन
वन मंडल सामान्य बालाघाट व वनपरिक्षेत्र वारासिवनी के आरक्षित कक्ष क्रमांक 513 अंतर्गत आने वाला वनस्पति उद्यान कभी सिर्फ बालाघाट ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के साथ ही महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ में भी वन्यप्राणियों के लिए प्रसिद्ध रहा है, इसमें कभी तेंदूआ जैसे हिंसक वन्यप्राणी के साथ ही शाकाहारी सहित अन्य वन्यप्राणी रहते थे जिनके रहने के स्थान व पिंजरे वर्तमान समय में भी उद्यान में तो जरुर लेकिन वह भी जीर्ण-शीर्ण स्थिति में पहुंच गए है। जिसे भी सहेजने की जिम्मेदारी जिम्मेदार उठा नहीं पा रहे है। कोई बात अगर इसके क्षेत्रफल की करें तो यह उद्यान 47 हैकटेयर यानी 116 एकड़ भूमि में फैला हुआ है।लेकिन वनस्पति उद्यान को लेकर दिनों-दिन जिम्मेदारों की अनदेखी से वह अपनी रौनक के साथ ही अस्तित्व को भी खोता जा रहा है। जिस पर यदि अभी ध्यान नहीं दिया गया तो कुछ वर्षों में यह गार्डन पूरी तरह उजड़ जाएगा और यहां सिर्फ खाली मैदान शेष रह जाएगा।

रोजाना हो रही राजस्व की वसूली फिर भी नही है ध्यान
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि बदहाल हो चुके इस उद्यान घूमने फिरने के लिए कोई नहीं आता, बल्कि यह उघान युवाओं की पहली पसंद बना हुआ है।इस वनस्पति उद्यान में भ्रमण के लिए पैदल या फिर साइकिल से आने लोगों से प्रति व्यक्ति दस रुपये, मोटर साइकिल से आने वाले से 25 रुपये, मोटर यान से आने वालों से 100 रुपये व मिनी बस से आने वालों से 500 रुपये शुल्क लिया जाता है और राजस्व की पूर्ति की जाती है, बावजूद इसके इस प्रसिद्ध उद्यान को लेकर अनदेखी पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। ऐसे में इस तरह वनस्पति उद्यान की अनदेखी जारी रही तो बालाघाट जिले के सबसे प्रसिद्ध उद्यान सिर्फ यादों में ही रह जाएगा। जिस पर जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं है। शायद यही वजह है कि यह उद्यान दिनों दिन बदहाल होता जा रहा है।

एक माह में तीन बार भेजा प्रपोजल, पर नही मालूम कितने का भेजा
गर्रा स्थित इस वनस्पति उद्यान में पहुंचने वालों से बकायदा शुल्क वसूल कर खजाना भरा जा रहा है।वहीं जिम्मेदार वनपरिक्षेत्र अधिकारी द्वारा इस उद्यान के सौंद्रयीकरण के लिए तीन बार वरिष्ठ स्तर पर प्रपोजल बनाकर भेजने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से बचते तो नजर आ रहे है, लेकिन यहां खास बात ये है कि उन्होंने तीन बार प्रपोजल भेजा है बावजूद इसके भी उन्हें ये नहीं पता है कि उन्होंने प्रपोजल कितनी राशि का भेजा गया है।

रेस्ट हाउस भी हो रहा जर्जर खेल सामग्री भी हो रही खराब
आपको बताए की वनस्पति उद्यान में एक सालों पुराना रेस्ट हाउस भी बना हुआ है, जहां वनविभाग के अधिकारी भ्रमण के दौरान रुकते है, लेकिन वर्तमान समय में इस ओर भी ध्यान नहीं दिए जाने से यह रेस्ट हाउस भी जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। उसके स्लाप में लगा प्लास्टर टूट कर गिर रहा है तो वही स्लैप में लगी सलाखें बाहर निकल आई है। इसके अलावा रेस्ट हाउस पूर्ण रूप से जर्जर हो चुका है जो कभी भी गिर सकता है। वहीं गार्डन में बच्चों के मनोरंजन के लिए लगाए गए झूले अन्य मनोरंजन की सामग्री भी जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंच गई है। स्थिति यहां तक निर्मित हो चुकी है कि गिर चुके वाच टाव, पगौड़े के साथ ही क्षतिग्रस्त हो रही यादों को सजोया तक नहीं जा रहा है। जिसका ही ये नतीजा है कि इस उद्यान में कम ही संख्या में लोग पहुंच रहे है।

एक सिपाही के भरोसे उद्यान
गर्रा स्थित116 एकड़ हेक्टेयर में फैले वनस्पित उद्यान की जिम्मेदारी वर्तमान समय में वनविभाग के एक सिपाही को सौंपी गई है, लेकिन विडंबना यह है कि उसके पास वनस्पति उद्यान के साथ ही अन्य वनक्षेत्रों का भी प्रभार है।ऐसे में दिन के समय चार स्थायी कर्मी व रात के समय एक स्थायी कर्मी के भरोसे ही बागडोर रहती है। वहीं उद्यान पहुंचने वाले लोगों को उद्यान के कोन-कोन से मार्ग का भ्रमण करना है।इसके लिए एक पूरे उद्यान का नक्शा भी बनाया गया है,लेकिन देखरेख के अभाव में यह नक्शा भी क्षतिग्रस्त हो गया है और इसमें मार्ग देखना भी मुश्किल हो चुका है।

बजट आएगा तो कराएंगे सौंद्रयीकरण- जौदोन
इस पूरे मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान वनपरिक्षेत्र अधिकारी छत्रपाल सिंह जौदोन ने बताया कि वनस्पति उद्यान की मरम्मत कर सौंद्रयीकरण करने के लिए तीन बार इस्टीमेट बनाकर भेजा जा चुका है। कितना का इस्टीमेट बनाया गया है फिलहाल मुझे याद नहीं है। जैसे ही बजट आएगा मरम्मत व सौंद्रयीकरण की कार्रवाई को शुरु किया जाएगा।

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