‘पिछले डेढ़ साल से जारी महामारी के दौर में कुछ पल ऐसे आए कि जब लगा कि पूरी दुनिया का बोझ मुझ पर आ गया है। ऐसा लगता था, हम प्रेशर कुकर में हैं, जो हर तरफ से बंद है… बचने की कोई जगह नहीं है। आखिरकार एक ऐसा वक्त आता है जब या तो आप फट पड़ते हैं या इस स्थिति से उबर जाते हैं।’ यह व्यथा है अमेरिकी राज्य मैरीलैंड के मोंटोगोमेरी में 18 साल के हाई स्कूल छात्र बैन बालमैन की। बैन अकेले नहीं हैं।
अमेरिका के हजारों छात्र और किशोर ऐसी ही मानसिक परेशानी से जूझ रहे हैं। बिगड़ती मानसिक सेहत से किशोरों के आत्महत्या के मामले भी बढ़े हैं। इससे निपटने के लिए कुछ राज्य छात्रों को ‘मेंटल हेल्थ डे ऑफ’ दे रहे हैं। यानी जब भी वे मानसिक रूप से परेशान महसूस करें तो हफ्ते में एक दिन अतिरिक्त छुट्टी ले सकते हैं।
दो साल में एरिजोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, इलिनॉय, नेवादा, ओरेगॉन और वर्जीनिया जैसे राज्य बच्चों को मानसिक कारणों से स्कूल से अनुपस्थित रहने की मंजूरी देने वाला बिल पारित कर चुके हैं। उटाह में रिपब्लिकन सांसद माइक विंडर यह बिल लाए थे। उन्हें यह सुझाव सदर्न उटाह यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली उनकी बेटी ने दिया था।
एलीमेंट्री स्कूल प्रिंसिपल शौना वर्दिंगटन बताती हैं कि छात्र जब दबाव महसूस करते हैं तो उन्हें ऐसी जगह की जरूरत होती है, जहां वे अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकें। मान लीजिए कोई बच्चा मैथेमेटिक्स से घबरा गया है, तो वह इससे कुछ वक्त के लिए दूर हो जाता है। एक बार वह तनाव से उबर जाए तो फिर पढ़ाई में जुट जाता है। ऐसे मामलों में यह भी सामने आया कि बच्चों का प्रदर्शन पहले से बेहतर हो गया।
वेलनेस रूम: इंस्ट्रूमेंट्स की मदद से 10 मिनट में तनाव से मिल रहा छुटकारा
छात्रों को तनाव से उबारने के लिए उटाह में स्कूलों ने वेलनेस रूम बनाए हैं। इनमें 10 मिनट का टाइमर लगा होता है। यहां रखे उपकरणों की मदद से छात्र भावनाओं पर काबू पा सकते हैं। छात्रों में इसका फायदा दिख रहा है। कोलोराडो की 19 साल की छात्रा मेलोनी बताती हैं, ‘मेरे दोस्त ने खुदकुशी कर ली थी। मुझे पता नहीं था कि दुख कैसे जताउंगी, इसलिए मैंने दोस्तों के साथ मिलकर ओएसिस रूम बनाया। यह स्टूडेंट लाउंज जैसा है, यहां एडवाइजर और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट मदद करते हैं।










































