सुपर स्पेशलिटी, एमटीएच व एमआरटीबी अस्पताल में कोविड के इलाज के लिए भर्ती मरीजों में हर रोज दर्जनों मरीजों की मौत हो रही है। इन अस्पतालों में बुधवार सुबह सात बजे से गुरुवार सुबह सात बजे तक करीब 24 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से एमटीएच से 15 शव, सुपर स्पेशलिटी से सात शव व एमआरटीबी से दो शव गुरुवार सुबह तक एमवायएच की मार्च्युरी में पहुंचे। ज्यादा संख्या में एमवायएच की मार्च्युरी में शव पहुंचने के कारण मार्च्युरी के बाहर शवों की कतारे लग रही है।
गुरुवार को एम्बुलेंस में ही कुछ शवों को तीन घंटे तक रखना पड़ा क्योंकि मार्च्युरी के अंदर जो शव रखे थे उनकी पैकिंग व कागजी प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाई थी। गौरतलब है कि मेडिकल कालेज से संबंधित इन तीनों अस्पतालों में किसी भी संक्रमित मरीज की मौत होती है तो नियमानुसार उसके शव को एमवायएच की मार्च्युरी में लाकर उस शव को पैक कर कागजी प्रक्रिया पूरी कर स्वजनों को सौंपा जाता है। हालात यह है कि एमवायएच में सुबह से देर रात तक लगातार शव पहुंच रहे है। ऐसे में कई बार शवों को मार्च्युरी के पोर्च में स्ट्रेचर पर लिटाकर रखा जाता है। इस दौरान मृतक के स्वजन भी उस परिसर में मौजूद रहते है।
मार्च्युरी के बाहर ही फेंक रहे संक्रमित ग्लब्स
एमवायएच की मार्च्युरी में मेडिको लीगल केस के जिन शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है। उनके शवों के पोस्टमार्टम के पश्चात कर्मचारी जो ग्लब्स पहने हुए होते है, उसमें खून भी लगा होता है। मार्च्युरी में काम करने वाले कर्मचारी उस संक्रमित ग्लबस को उसी परिसर में खुले में फेंक रहे है। गुरुवार दोपहर एक बजे एक कर्मचारी पोस्टमार्टम कक्ष से बाहर आया और नल से हाथ धोने के पश्चात उसने ग्लब्स परिसर में ही फेंक दिया।
शवाें को एम्बुलेंस में रखने की जानकारी मुझे नहीं है
मार्च्युरी में वो ही शव आते हैं जिन्हें कूलिंग में रखना होता है। सुपर स्पेशलिटी व अन्य अस्पतालों से शव पैक होकर डेथ स्लिप के साथ आते हैं। उसके बाद ही शवों को यहां पर बाडी कूलर में रखा जाता है। मार्च्युरी में शवों को रखने की पर्याप्त व्यवस्था है। जब स्वजन अस्पताल से डेथ स्लिप लेकर आते हैं, उसके बाद ही स्वजनों को शव सौंपा जाता है। गुरुवार सुबह एम्बुलेंस में शव रखे रहने की जानकारी मुझे नहीं है। हमारे पास तो जैसे ही शव आता है, हम उसे बाडी कूलर में रखवा देते हैं।
– डा. बजरंग सिंह, प्रभारी र्माच्युरी, एमवाय अस्पताल