नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के तहत आंगनवाड़ी केन्द्र अब प्री-प्रायमरी स्कूलों के रूप में संचालित होगें जिसके लिए महिला बाल विकास विभाग एवं शिक्षा विभाग ने तैयारियां शुरू कर चुकी है और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ६ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रायमरी शिक्षा देगी यानि की आंगनवाड़ी केन्द्रों को अब प्ले स्कूल व नर्सरी स्कूल की तरह विकसित किया जायेगा जिससे बच्चों में सोचने, समझने, बोलने के साथ ही उम्र के अनुसार शिक्षा का स्तर बढ़ेगा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नाच-गाकर बच्चों को पढायेगी ताकि उन्हे आसानी से समझ में आ सके जिसके लिए प्रथम चरण में शासकीय स्कूल परिसर में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों की कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी कड़ी में नगर मुख्यालय स्थित जनपद शिक्षा केन्द्र में महिला, बाल विकास विभाग एवं शिक्षा विभाग के द्वारा लालबर्रा विकासखण्ड के शासकीय स्कूल परिसर में संचालित हो रहे आंगनवाड़ी केन्द्र के कार्यकर्ताओं का गत १ अगस्त से पांच दिवसीय प्रशिक्षण जारी था जिसका समापन ५ अगस्त को किया गया है। इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण का समापन महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रभारी परियोजना अधिकारी श्रीमती यशोदा भगत, बीआरसी श्रीराम तुरकर सहित अन्य पर्यवेक्षक व मास्टर ट्रेनरों की उपस्थिति में प्रारंभ हुआ। इस ५ दिवसीय प्रशिक्षण में भोपाल से प्रशिक्षण प्राप्त कर आये मास्टर ट्रेनरों के द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को शासन के निर्देश के अनुसार आंगनवाड़ी केन्द्रों में प्री-प्रायमरी स्कूल शुरू होने के साथ ही प्ले स्कूल व नर्सरी स्कूल की तरह कक्षाएं संचालित कैसे करना है उसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही बच्चों को चित्र, कार्टून, कठपुतली के अलावा खेल-खेल में पढ़ाने के रोचक तरीके बताये गये एवं नाच-गाकर किस तरीके से बच्चों को पढ़ाया जाता है ताकि वे बेहतर तरीके से सीखे और समझे उसके बारे में प्रशिक्षित किया गया है। अब आंगनवाड़ी केन्द्रों में प्री-प्रायमरी स्कूल की तर्ज पर शिक्षा मिलेगी जिससे बच्चों को सोचने, समझने व सुनने के अवसर, वार्तालाप, कहानी, गीत, कविता और खेल के माध्यम से व करके सीखने, स्वयं हल ढूढने के अवसर, आसपास के वातावरण को जानने और समझने के अवसर, मांसपेशियों के विकास के अवसर, बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के अवसर, बच्चों को पढऩे लिखने व गणित के लिये तैयारी जैसे अक्षरों, आकृतियों की पहचान, नमूने बनाना, छापना, लाइन बनाना, लाइन मिलाना आदि शिक्षा शाला के पूर्व प्रदान की जायेगी ताकि बच्चों के अंदर आत्म विश्वास का भाव जागृत हो सके और शिक्षा का स्तर बढ़ सके।