
Damoh News: सुधीर मिश्रा। दमोह। एक युवक ने आदिवासियों को घाटी चढ़कर दो किलोमीटर दूर से नाले से पानी लाते देखा तो उसने हर हाल में उनको पानी उपलब्ध करवाने की ठान ली। करीब चार साल पहले की घटना है। तब से वह युवक हर दिन दो टैंकर पानी उस गांव में पहुंचा रहा है, जहां प्रशासन ने हार मान ली थी। अब तक वह पानी के परिवहन पर 10 लाख रुपये खर्च कर चुका है।
यह कहानी है दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लाक के गीदन गांव की। यहां पानी की विकराल समस्या है। जलस्तर हजार फीट से भी ज्यादा नीचे है। गांव में एक भी कुआं नहीं है। कुछ बोर हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं है। एक हैंडपंप है जो पूरे दिन में मुश्किल से 20-30 लीटर पानी दे पाता है।
यहां नलजल योजना के तहत बोर कराया गया था, लेकिन 830 फीट गहराई पर भी पानी नहीं निकला। गांव की आबादी 400 है और 80 आदिवासी परिवार हैं। चार साल पहले जब कुछ आदिवासी दो किमी दूर घाटी चढ़कर पानी लेने जा रहे थे, तभी शाहजादपुरा निवासी नरेंद्र कटारे ने उनकी तकलीफ को देखा।
इसके बाद गांव में पानी पहुंचाने के लिए रोज दो टैंकर भेजने शुरू हुआ सिलसिला लगातार चल रहा है। नरेंद्र ने बताया, इन दो टैंकर से गांव के प्रत्येक परिवार को पीने के लिए पर्याप्त पानी दिया जाता है। यदि गांव में किसी के घर कार्यक्रम होता है तो अतिरिक्त टैंकर भेजा जाता है। ग्रामीण सिर्फ नहाने व कपड़े धोने के लिए ही नाले में पानी लेने जाते हैं। नरेंद्र किसान हैं और 45 एकड़ जमीन के साथ ठेकेदारी भी करते हैं। नरेंद्र ने कहा कि वह घर के बोर से अपने टैंकर से पानी उपलब्ध करवाते हैं।
इनका कहना
15 लाख की नलजल योजना शुरू कराई थी लेकिन गांव में जलस्तर काफी नीचे है जिससे वह सफल नहीं हुई। युवक नरेंद्र कटारे टैंकर से पानी उपलब्ध कराते हैं। इसका पंचायत या आदिवासियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
– हरिश्चंद्र जैन, पंचायत सचिव
यह बात सही है कि गीदन गांव में जलस्तर नीचे है, लेकिन वहां हैंडपंप हैं। शासन की योजना अनुसार सभी गांव में 2023 तक नलजल योजना संचालित करनी है, जिस पर काम चल रहा है।









































