मध्यप्रदेश में इस साल बारिश को लेकर मौसम का मिजाज शुरू से ही बदला हुआ है। हर बार अच्छी बारिश के संकेत तो दिखाई दिए और बारिश भी हुई, लेकिन बीच-बीच में सूखा होने से सारे अनुमान गड़बड़ा गए। देरी से मानसून के बाद भी मौसम की बेरुखी ऐसी रही कि तीन महीने की बारिश में तीन ड्राय गेप (बिना बारिश के ज्यादा दिन) हो गए। इसके चलते सोयाबीन की फसल पर तो इसका असर पड़ा। अगस्त में भी बारिश का इसी महीने का कोटा अभी पूरा नहीं हुआ, जबकि अब मात्र चार दिन बचे हैं। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले 4-5 दिन भी ड्राय रहेंगे। इसके चलते अब सितंबर में ही बारिश की उम्मीद की जा सकती है।
पिछले हफ्ते मौसम वैज्ञानिकों ने पश्चिम मध्यप्रदेश के इंदौर, धार, बड़वानी, झाबुआ, खंडवा में अच्छी बारिश की उम्मीद जताई थी, लेकिन सामान्य से भी कम बारिश हुई और गेप हो गया। वैसे इन साल मानसून 20 जून बाद आया। उसके बाद अब तक 24 दिन ऐसे रहे। इसमें शहर में बारिश नहीं हुई। इन 24 दिनों में तीन गेप रहे। इसके तहत अगस्त में भी गेप रहा और इस माह अभी तक 7 इंच बारिश ही हुई। अगस्त में 12 इंच से ज्यादा बारिश होती है।
मौसम वैज्ञानिक डॉ. एचएल खापडिया (एग्रीकल्चर कॉलेज) ने बताया कि 4-5 दिनों तक अभी मौसम ड्राय रहेगा। सिस्टम के तहत पिछले दिनों जो टॉप जोन बना था। वह ऊपर की ऊपर होकर हिमालयीन साइट (अरुणाचल की ओर) चला गया, इसके चलते थर्ड गेप भी हो गया। इस बार पहली अच्छी बारिश के बाद भी 22-25 दिनों का गेप हो गया था।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक हर साल बारिश जून में शुरू होती है। इसमें 20 जून के बाद के 10 दिनों को वर्षा काल माना जाता है, फिर मुख्य तौर पर जुलाई-अगस्त (62 दिन) बारिश के लिहाज से मुख्य होते हैं, इस दौरान अधिकतम बारिश होती है। इसके बाद सितंबर में टुकड़ों-टुकड़ों में बारिश होती है और इस तरह कोटा पूरा होता है। इंदौर में हर साल औसतन वर्षा 34-35 इंच होती है, लेकिन अभी तक 660 मिमी (26 इंच) ही हुई है।
मौसम की बेरुखी का असर सोयाबीन की फसल पड़ा है, जहां पहले सोयाबीन की बोवनी हुई है और 50 दिन से ज्यादा हो गए हैं। उनमें फलियां आ गई हैं। सीहोर, आष्टा और आसपास के क्षेत्रों के खेतों में इल्लियों का प्रकोप भी देखा गया है। दूसरी ओर लगातार बादल छाने, नमी, धूप और अब सूखे जैसी स्थिति के कारण वहां अफलन की स्थिति हो गई है।