जिले में नियम विरूद्ध संपत्तियो के क्रय और विक्रय किए जाने के मामले पहले भी प्रकाश में आते रहे है, ताजा मामला नाबालिग के हक के मकान को नियमो के विपरित बेचे जाने का है।जिसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक से नाबालिग के मामा भाई बाल कल्याण समिति से घोषित संरक्षक धर्मेन्द्र बागेश्वर ने की है। जिसमें उसने नाबालिग के पिता के हत्यारे बड़े भाई और उसके साथी, खरीददार सरपंच ,उसके साथी ,दस्तावेज लेखक और उपंजीयक पर, नियम विरूद्ध, अव्यवस्क के मकान को विक्रय करने का आरोप लगाते हुए मामले की जांच कर नाबालिक के हक का मकान उसे वापस दिलाने और सभी दोषियों पर वैधानिक कार्यवाही किए जाने की मांग की है।
क्या है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार धर्मेन्द्र बागेश्वर को उसके बुआ के नाबालिग लड़के, मिनेश का बाल कल्याण समिति ने वर्ष 2009 में संरक्षक घोषित किया था। पिता द्वारा दिए गए बंटवारे एवं उत्तराधिकार में नाबालिक मिनेश के हक में कनकी स्थित प.ह.नं. 75, में खसरा नंबर 209/2/2 रकबा 0.012 में 124 बाई 56 में बना भूखंड में बना मकान था।जिसे, उसके पिता के हत्यारे बड़े भाई गजानंद ब्रम्हें ने साथी अनिल कुमार डहरवाल के साथ मिलकर कनकी सरपंच दुर्गाप्रसाद पगरवार, धर्मेन्द्र ठाकरे और लोकचंद पारधी को 15 लाख रूपए में बेच दिया। जिस मकान के बिक्री में दस्तावेज लेखक गजेन्द्र बिसेन और उपंजीयक अधिकारी अनुराग डहरवाल द्वारा, नियमों का पालन नहीं किए जाने का आरोप लगा है। यह आरोप, नाबालिग के संरक्षक धर्मेन्द्र बागेश्वर, ने पुलिस अधीक्षक को की गई शिकायत में लगाते हुए जांच की मांग की है।
नियमो को ताक में रख कराई गई रजिस्ट्री- धर्मेंद्र
बुधवार को एसपी कार्यालय में नाबालिग के साथ ज्ञापन लेकर पहुंचे नाबालिक मिनेष के संरक्षक धर्मेन्द्र बागेश्वर ने बताया कि अव्यवस्क की जमीन या भवन विक्रय के पूर्व माननीय जिला न्यायालय की अनुमति जरूरी है लेकिन इस बिक्रीनामे में इसका कोई पालन नहीं किया गया। यही नहीं बल्कि भूमि का पंजीयन भी रजिस्टर्ड कर लिया गया। जबकि इस दौरान उपपंजीयक की यह जिम्मेदारी है कि वह पंजीयन, सही है की नहीं, यह देखे, जो बिना देखे पंजीयन करा दी गई। शिकायकर्ता ने आरोप लगाया कि अनावेदकों ने आपराधिक षडयंत्र रचते हुए बेईमानी एवं झूठ बोलकर, संपत्ति का विक्रय कर दिया। उन्होंने आगे बताया कि अव्यवस्क के हक के भवन की बिक्री के लिए गजानंद ब्रम्हें और अन्य लोगो ने उस पर दबाव बनाया और भवन को बिक्री कर दिया। जिसकी जानकारी मिलने पर मेरे द्वारा तहसलदार के समक्ष भवन के हस्तांतरण प्रक्रिया में आपत्ति दर्ज कराई गई और लालबर्रा पुलिस को भी इसकी शिकायत की गई।लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिससे न्याय की मांग को लेकर उन्होंने पुलिस अधीक्षक के नाम ज्ञापन सौंपकर, धोखाधड़ी से किए गए भवन बिक्री की जांच करने और दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है।।
नियमों के तहत कराई गई है रजिस्ट्री- पगरवार
वहीं पूरे मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान सरपंच दुर्गाप्रसाद पगरवार ने बताया कि सभी नियमों के तहत ही रजिस्ट्री कराई गई है। इस मामले में प्रक्रिया के तहत नियमानुसार मकान की रजिस्ट्री कराई गई है। जिसमें अव्यवस्क के संरक्षक को भी राशि दी की गई है।