एम्स में तीन दिन बाद पहुंचे फंगस के मरीजों के इंजेक्शन, लेकिन किल्लत बरकरार

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राजधानी में स्‍थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में म्यूकरमाइकोसिस की वजह से कई मरीजों की हालत बिगड़ने के बाद भी उन्हें इसके इलाज के लिए जरूरी इंजेक्शन लाइसोसोमल एंफोटेरेसिन बी नहीं मिल पा रहा है। तीन दिन तक किल्‍लत के बाद सोमवार को कुछ इंजेक्शन आए, लेकिन यह इंजेक्शन सभी मरीजों को लगा दिए गए। कुछ मरीजों को तीन तो कुछ को चार इंजेक्शन लगाए गए।

इससे इंजेक्‍शनों की किल्‍लत बरकरार है। मंगलवार, बुधवार को फिर यहां मरीजों को इंजेक्शन उपलब्ध होने के आसार नहीं है। एम्स प्रबंधन की तरफ से पर्याप्त इंजेक्शन नहीं मिल पाने की वजह से मरीजों को कई बार अपने खर्चे से इंजेक्शन खरीदना पड़ता है। एक इंजेक्शन 6500 रुपए में आता है।एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि कई मरीज दोबारा म्यूकरमाइकोसिस का बढ़ा हुआ संक्रमण लेकर आ रहे हैं। पहली बार इलाज में ही इन मरीजों का काफी पैसा खर्च हो चुका है। इनकी हैसियत नहीं है कि वह दोबारा इंजेक्शन का खर्च उठा सकें। उधर एम्स प्रबंधन की तरफ से पर्याप्त इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं किए जाने की वजह से मरीजों की हालत बिगड़ रही है। कई मरीजों के जबड़े निकालने पड़े हैं तो कुछ की आंख भी निकाल दी गई है। एक मरीज के फेफड़े की सर्जरी भी की गई है।

राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान होने के बाद भी एम्स में मरीजों को इस तरह की दिक्कतें हो रही हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में भी पर्याप्त इंजेक्शन मरीजों को मिल जा रहे हैं। कुछ मरीजों ने बताया कि उन्हें एम्स में भर्ती नहीं किया गया तो वह हमीदिया या फिर निजी अस्पतालों में जाकर भर्ती हुए हैं। एम्स में मरीजों को इंजेक्शन दिलाने के लिए कोविड हेल्पलाइन के नाम से बना ग्रुप भी मदद कर रहा है। मरीजों को इंजेक्शन भी दान किए हैं।

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