पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने एक बार फिर नक्सली एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। जिन्होंने ना सिर्फ तीन दिन पूर्व सोनगुड्डा चौकी के कोदापार जंगल में हुई मुठभेड़ में मारे गए नक्सली कमलू के एनकाउंटर को फर्जी बताया है, बल्कि उन्होंने अब तक किए गए सभी एनकाउंटर को फर्जी एनकाउंटर बताते हुए सभी एनकाउंटर की सीबीआई जांच करने की मांग की है। जहां उन्होंने मांग पूरी ना होने पर सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनी भी दी है। यह चेतावनी पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने मंगलवार को आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान दी। जिन्होंने नक्सली एनकाउंटर पर कई एंगल से सवाल उठाते हुए जिले में नक्सलियों के आतंक की जगह पुलिस का आतंक होने की बात कही है। तो वहीं उन्होंने कलेक्टर डॉ गिरीश मिश्रा और पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ पर तत्काल हत्या का मुकदमा दर्ज कराकर उन्हें तत्काल बालाघाट से हटाने औऱ इस पूरे मामले में सीबीआई जांच करने की मांग की है। जिन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि नक्सलवाद बंदूक की गोली से खत्म नहीं होगा बल्कि नक्सलवाद नक्सलीयो के लिए बनाए गए नियमों के आधार पर समाप्त होगा।
फंडिंग और ईनाम के लिए कर रहे फर्जी एनकाउंटर
आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए श्री मुंजारे ने बताया कि जिले में शिवराज की सरकार फर्जी एनकाउंटर कर रही है। 29 सितंबर को जो एनकाउंटर हुआ है वह पूरी तरीके से फर्जी एनकाउंटर है ।नक्सली कमलू चिखलाजोड़ी के किसी घर में था वहां से उसे पड़कर पुलिस ने पहले उससे पूछताछ की थी बाद में उसे कोदापार के जंगल लेकर आए थे बाद में उसकी हत्या कर दी गई है और उसे एनकाउंटर का नाम दिया गया है। नक्सलियों और मुखबिरों के नाम पर पुलिस को जो फंडिंग होती है उसे फंडिंग के लिए पुलिस नक्सलियों की हत्या कर उसे फर्जी एनकाउंटर बता रही है। नक्सलियों की हत्या कर उसे एनकाउंटर बातकर वाह वाही लूट रहे हैं जबकि सोनगुड्डा में हार्क फोर्स पहले से थी, फिर भी इस एनकाउंटर के लिए बिरसा से हार्क फोर्स बुलाई गई।जबकि पाथरी, बिठली, डाबरी, और सोनगुड्डा पुलिस चौकी में एनकाउंटर की कोई जानकारी नहीं है वहीं जहां नक्सली कमलू के एनकाउंटर की बात कही जा रही है वह जगह सोनगुड्डा चौकी से महज 2 किमी दूर है।यह मामला गंभीर है लगातार शिवराज सरकार फर्जी एनकाउंटर कर वाह वही लूट रही है।
केवल कमलू का नहीं ,बल्कि सभी एनकाउंटर फर्जी है
श्री मुंजारे ने आगे बताया कि जिले में केवल नक्सली कमलू का ही एनकाउंटर फर्जी नहीं है बल्कि इसके पूर्व जितने भी एनकाउंटर हुए हैं सभी एनकाउंटर फर्जी है। सभी नक्सलियों को पकड़कर उनकी हत्या की गई है और उसे एनकाउंटर बताया गया है। इसके पहले पहले में तीन नक्सलियों को पकड़े थे उनको मारकर जंगल में एनकाउंटर बताया गया। कांधला में महिला नक्सली का एनकाउंटर करना बता रहे हैं जबकि उसे कहीं पर भी चोट नहीं आई जो फोटोग्राफ पुलिस द्वारा जारी किए गए थे उसमें नक्सली महिला के हाथ में बंदूक थी। जबकि एनकाउंटर में जब भी नक्सली जमीन पर गिरता है तो उसके हाथ से बंदूक छूट जाती है लेकिन जो फोटो जारी की गई उसमें महिला नक्सली ने अपने हाथों में बंदूक पड़ी हुई थी। हमें तो शक है कि उसका बलात्कार भी किया गया होगा लेकिन इसकी जांच नहीं कराई गई। इसके बाद एक और दूसरी महिला नक्सली की भी हत्या की गई है बाद में उसे एनकाउंटर बताया गया है ।क्योंकि फोटोग्राफ्स में दोनों महिला नक्सलियों ने जो शर्ट पहना है वह काफी ढीला डाला है हमेशा शक है कि बाद में उन्हें शर्ट पहनाया गया है। वही नक्सली लोअर नहीं पहनते फिर भी लोअर में उनकी फोटोग्राफ जारी की गई है इसका मतलब कि यह एनकाउंटर भी फर्जी है
बाजार से सामान खरीद कर दिखाई गई जब्ती
श्री मुंजारे ने आगे बताया कि गांव वाले बता रहे हैं कि पुलिस वाले सुबह के वक्त गाड़ी में आए थे जो 1 घंटे बाद ही वापस चले गए। वहां दो-तीन पेड़ों में गोली मारी है ताकि इस घटना को एनकाउंटर बताया जा सके। जिस गांव की यह घटना है वहां के गांव वालों को कुछ नहीं मालूम। वहीं पुलिस ने जो सामान सामान बरामद किया है उसमें तेल का डब्बा खोला तक नहीं गया है वह पैक है।कई सामान वहां सील पैक रखे हुए हैं। वही खाने पीने की सामग्री जप्त करना बताया गया है। जबकि नक्सली खाने पीने का सामान लेकर साथ नहीं चलते वह किसी के भी घर जाकर खाना खा लेते हैं। लेकिन इन्होंने एनकाउंटर दिखाने के लिए बाजार से सामान खरीद कर लाए हैं और उस सामान की जब्ती दिखाई है।
सभी एनकाउंटर की सीबीआई जांच कराई जाए
श्री मुंजारे ने आगे बताया कि कांधला में भी जो नक्सली एनकाउंटर बता रहे हैं उसमें मृतक नक्सली के मुंह से खून निकल रहा है उसकी हत्या की गई है। यदि उसका एनकाउंटर होता और सर पर गोली लगती, तो खोपड़ी उड़ जाती। जमशेरा में भी जो नक्सली एनकाउंटर हुआ था वह भी फर्जी है जारी की गई फोटो में नक्सली का हाथ टूटा हुआ है इसका मतलब कि उसे पहले पकड़ा गया है उसके साथ मारपीट की गई है फिर हत्या की गई हैम जमशेरा की वन चौकी के ठीक सामने एनकाउंटर किया गया है पुलिस बता रही है कि वन चौकी में नक्सलीयो ने कब्जा कर लिया था। जबकि वन विभाग ने इसकी शिकायत पुलिस से नहीं की थी इसका मतलब वहां कोई एनकाउंटर नहीं हुआ वहां 200 से 250 राउंड फायरिंग बता रहे हैं जबकि वहां एक भी पुलिसकर्मी घायल नहीं हुआ। पुलिस की फायरिंग तो गिनी जा सकती है लेकिन नक्सलियों ने कितनी फायरिंग की इसका पता पुलिस को कैसे लग गया। इसका मतलब की वह एनकाउंटर भी फर्जी था। हमारी मांग है कि अब तक जितने भी एनकाउंटर हुए हैं इन सभी एनकाउंटर की सीबीआई जांच होनी चाहिए
आतंक नक्सलियों का नहीं पुलिस का है
श्री मुंजारे ने आगे बताया कि कानून की ड्रेस पहन कर सुरक्षा के नाम पर पुलिस खुद कानून को अपने हाथ में ले रही है। नक्सलियों को पकड़ने के बाद उनकी हत्या की गई है और उसे एनकाउंटर का नाम दिया जा रहा है। जबकि नक्सलियों को पड़कर नियम के अनुसार उन्हें कोर्ट में पेश करना था ।वहां से उन्हें जो भी सजा मिलती वह सजा भोगते । लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया। जब से समीर सौरभ पुलिस अधीक्षक बनकर आए हैं तब से 9 नक्सलियों की हत्या की गई है और उसे एनकाउंटर का नाम दिया गया है। इसके पूर्व पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने भी 8 नक्सलियों की हत्या कर उसे फर्जी एनकाउंटर का नाम दिया था। झामसिंह धुर्वे ,किरनापुर के बोरबंद ,मालखेड़ी सहित अन्य जगह जितने भी एनकाउंटर हुए हैं यह सब फर्जी है। जिससे नक्सली क्षेत्र के लोग डरे हुए हैं ।बालाघाट जिले में नक्सलियों का आतंक नहीं है बल्कि पुलिस का आतंक है। नक्सली क्षेत्र के लोग नक्सलियों से नहीं बल्कि पुलिस से डर रहे हैं। इसीलिए शिवराज सरकार ने इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि मध्य प्रदेश में कानून का राज नहीं है।
आरटीआई लगाने पर भी नहीं मिलता जवाब
श्री मुंजारे ने आगे बताया कि इन सभी मामलों को लेकर उन्होंने कई बार आरटीआई लगाई है मजिस्ट्रेट जांच की कॉपी मांगी है। लेकिन आज तक उन्हें जवाब नहीं दिया गया। आरटीआई के जवाब में बोलते कि अभी जाँच जारी है। 2 वर्ष ,3 वर्ष ,4 वर्ष पूर्व हुए एनकाउंटर की जांच भी जारी है ऐसा कहा जा रहा है। जबकि कमलू को छोड़कर बाकी सभी मामलों में मजिस्ट्रेट जांच हो चुकी है मजिस्ट्रेट जांच के बाद कोई भी जांच नहीं बचती लेकिन उसके बाद भी पुलिस वाले कह रहे हैं कि सभी मामलों की जाँच जारी है। सूचना के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है।बोलते हैं कि मजिस्ट्रेट जांच गोपनीय है उसे सार्वजनिक नही कर सकतें, उसकी जानकारी नहीं दे सकते। इसीलिए हम इन्हीं मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।क्यो की अब तक 17 नक्सलियों की हत्या कर उसे एनकाउंटर बताया गया है और शिवराज सरकार इन लोगों को इनाम और प्रमोशन दे रही है हमें लगता है कि मुख्यमंत्री खुद पुलिस कर्मियों को संरक्षण दे रहे हैं इन सब की सीबीआई जांच होनी चाहिए ।कलेक्टर एसपी को तत्काल हटाकर सीबीआई जांच करानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। क्योंकि बंदूक की गोली से नक्सलवाद खत्म नहीं किया जा सकता। और यहां की पुलिस ऐसा ही कर रही है।