कागजों से बाहर आए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तो रुके व्यर्थ बहता पानी

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भू-जल स्तर को बेहतर बनाए रखने के लिए शासकीय व निजी भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए जिले में अभियान भी चले और कार्यक्रम भी हुए, लेकिन जिम्मेदार अफसरों ने गंभीरता नहीं दिखाई। यही कारण रहा कि आज तक सभी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लग पाया है। नियम यह है कि नगर पालिका द्वारा निजी भवन और मकान निर्माण की अनुमति के दौरान लोगों को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए प्रेरित करना है, लेकिन यहां स्थिति ही उलट है। नगर पालिका परिषद के भवन में ही यह सिस्टम नहीं लगा है। अब याद दिलाने पर सीएमओ कह रहे हैं कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तो बहुत आवश्यक है, नपा में लगवाया जाएगा और निजी भवनों में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के लिए प्रयास तेज किए जाएंगे। इधर 50 प्रतिशत से अधिक शासकीय भवन ऐसे हैं जहां यह सिस्टम नहीं लगे हैं, जहां लगे हैं, वहां भी शोपीस बने हैं तो कई जगह टूट-फूट गए हैं।

जिले में वर्ष 2016 में ग्राम उदय से भारत उदय अभियान और फिर 2018 में जल शक्ति अभियान के तहत जल संग्रहण पर जोर दिया गया था। जिले की 440 पंचायत भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लक्ष्य के साथ ही सभी शासकीय भवन, स्कूल और आंगनबाड़ी भवनों में सिस्टम लगाना तय किया गया। लेकिन किसी ने निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया। अभी तक जिले भर में 50 फीसदी पंचायत भवनों पर ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लग पाए हैं। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अधिकांश शासकीय भवनों, आंगनबाड़ी भवनों और नगर परिषदों में भी सिस्टम कागजों में ही लगे हैं, हकीकत में बारिश का पानी सहेजने की बजाय हर साल व्यर्थ बह रहा है। मंदसौर नगर पालिका भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर गंभीर नहीं है। नपा द्वारा भवन निर्माण अनुमति के समय लोगों से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए राशि ली जाती है। भवन की साइज के अनुसार सात, 10 व 15 हजार रुपये लिए जाते हैं। जो लोग यह सिस्टम लगा लेते हैं, उन्हें यह राशि वापस दी जाती है, जो नहीं लगा पाते उनकी राशि नपा में जमा रहती है, जिससे सिस्टम लगवाया जाता है। लेकिन निर्माण होने वाले भवनों में न तो निर्माणकर्ता और न ही नपा सिस्टम लगा रही है। इधर शहर में भवन निर्माण तो धड़ल्ले से हो रहे हैं, लेकिन वाटर सिस्टम लगाने पर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।

सभी शासकीय भवनों पर लगे सिस्टम तो दो करोड़ लीटर पानी हो सकता है संग्रहीत

जिले में सभी शासकीय भवनों पर ही सिस्टम लग जाए तो हर साल बारिश का दो करोड़ लीटर से अधिक पानी सीधे धरती में संग्रहीत किया जा सकता है। जानकारी के अनुसार 750 वर्गफीट की एक छत से 30 इंच बरसात में करीब 54 हजार लीटर पानी जमीन में उतारा जा सकता है। ऐसे में जिले की 440 ग्राम पंचायत और शासकीय भवनों पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाता है तो हर साल होने वाली बारिश में 2.37 करोड़ लीटर पानी जमीन में उतारा जा सकता है।

नगर पालिका भवन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया था। अब दिखवाया जाएगा क्या स्थिति है। भवन निर्माण के दौरान सभी घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाए इसके लिए हम प्रयास करेंगे, भू जलस्तर को बनाए रखने के लिए यह जरूरी भी है, इसके लिए तेजी से कार्य करेंगे। -पीके सुमन, सीएमओ, नगर पालिका

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