कायदी के किसान कर रहे ग्राम में पशु चिकित्सालय खोले जाने की मांग

0

पशुधन का उपचार करवाने जाना पड़ता है वारासिवनी या बालाघाट
वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। पशुधन क्या होता है यह बात किसान से ही पूछना चाहिये। किसान की अमोल धरोहर पशुधन ही होता है। मगर जब उसे उपचार के लिये स्थाई अस्पताल उपलब्ध न हो और वो ग्राम में प्रेक्टिस करने वाले लोगो से आस लगाये तो क्या यह सही बात है..्् इसी तरह का एक मामला ग्राम पंचायत कायदी का है जहां लंबे समय से पशु चिकित्सा केन्द्र खोले जाने की मांग उठ रही है। ताकि उनके पशुधन को समुचित उपचार मिल सके। इस मामले में ग्राम पंचायत भी उनके साथ खड़ी हुई है जो स्वयं भी यही चाहती है कि ग्राम पंचायत कायदी में पशु उपचार केन्द्र होना अनिवार्य हो गया है।
फोटो अब्दुल
कई वर्ष से की जा रही मांग – अब्दुल रशीद
इस मामले में किसान अब्दुल रशीद ने पद्मेश को बताया कि हमारे द्वारा कई बार यह मांग की गई है कि ग्राम पंचायत में एक पशु चिकित्सा केन्द्र होना चाहिये मगर यह मांग अभी तक पूर्ण नही हुई है। हमने इस संबंध में पूर्व सरपंच सहित वर्तमान सरपंच को भी अपनी इस मांग को बताया है। वर्तमान समय में हमे अपने पशुधन को ग्राम में मौजूद प्राईवेट डॉक्टरो को दिखाकर ही उपचार करवाया जा रहा है। मगर जब उन्हे किसी प्रकार का लाभ नही मिलता तो हम लोगों को बालाघाट या वारासिवनी मुख्यालय का रूख करना पड़ता है। कई बार हमारे पशुधन की मौत बगैर उपचार के भी हो जाती है। ऐसे में हम चाहते है कि ग्राम में पशु चिकित्सा केन्द्र होना चाहिये।

उपचार के अभाव में कई पशुओ की हो चुकी है मौत – रविन्द्र नेवारे
इसी तरह किसान रविन्द्र नेवारे ने पद्मेश को बताया कि हमारे ग्राम में नितांत आवश्यकता है पशु उपचार केन्द्र की। हमे आलेझरी, बालाघाट या फिर वारासिवनी में जाकर अपने पशुधन का उपचार कराना पड़ रहा है। हालाकि ग्राम में भी कुछ प्राईवेट डॉक्टर है मगर जब उनसे आराम हमारे पशुओं को नही लगता तो हमे अन्यत्र स्थान जाने मजबूर होना पड़ता है ऐसे में हम चाहते है कि ग्राम में ही एक पशु चिकित्सालय खुल जाये तो हमारे लिये काफी राहत रहेगी। उचित उपचार न होने के कारण कई बार हम किसानो के पशुओ की मौत तक हो चुकी है।
बड़ी पंचायत में गिना जाता है ग्राम पंचायत कायदी को
गौरतलब है कि वारासिवनी जनपद पंचायत अंर्तगत आने वाली कायदी ग्राम पंचायत में मतदाताओ की संख्या लगभग ४ हजार है वही जनसंख्या देखी जाये तो करीब ६ हजार है जिसमें अधिकांशता कृषक है। जिनके पास भैंस, बैल, गाय, बकरी सहित अन्य पशु है। जो इनका लालन पोषण करते है। ऐसे में अगर इन पशुओं को कोई बिमारी हो जाये तो यह ग्राम के प्राईवेट डॉक्टर से संपर्क कर उनका उपचार कराते है। मगर जब बिमारी समझ नही आती तो इन्हे अपने इन पशुधन को वारासिवनी या बालाघाट उपचार के लिये ले जाना पड़ता है।
फोटो जितेन्द्र
ग्राम में पशु चिकित्सालय की नितांत आवश्यकता – जितेन्द्र नगरगड़े
इस मामले में पद्मेश से चर्चा करते हुये कायदी सरपंच प्रतिनिधि जितेन्द्र नगरगड़े ने बताया कि हमारे ग्राम में अधिकांशता किसान है जिनके पास पशुधन है। हम कई वर्षो से पशु चिकित्सालय खोले जाने के लिये स्थानीय व जिला जनप्रतिनिधियों से निवेदन कर रहे है। मगर हमे सफलता नही मिल पायी है। १८ जून को हम इसी उद्देश्य को लेकर विधायक प्रदीप जायसवाल से मिलने जा रहे है कि हमारे ग्राम में पशु चिकित्सालय खोला जाये। क्योकि हमारे यहा के किसानो को अपने पशुधन के उचित उपचार के लिये वारासिवनी या बालाघाट पर निर्भर रहना पड़ता है। श्री नगरगड़े ने बताया कि आलेझरी में जरूर पशु अस्पताल है मगर उसमे सिर्फ टीकाकरण होता है। हम चाहते है कि वारासिवनी जनपद की सबसे बड़ी पंचायत होने के कारण हमारी कायदी पंचायत में पशु चिकित्सालय खुलना चाहिये। कई मर्तबा उचित उपचार के अभाव में मृत तक हो जाते है जिससे किसानो को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है। हमारी पंचायत के पास पशु चिकित्सालय के लिये जगह पर्याप्त है। बस हम मांग करते है कि कायदी में पशु चिकित्सालय खोला
जाये।
अब्दुल राशिद किसान

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here