कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आगामी मानसून सत्र में संसद का घेराव करने की योजना बनाई है.
द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के सदस्यों ने रविवार को सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक के दौरान यह फ़ैसला लिया. 19 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र के दौरान कई प्रदर्शन कार्यक्रमों की किसान योजना बना रहे हैं.
संगठन कहना है कि संसद का यह सत्र समाप्त होने तक किसान हर रोज़ प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं.
बीकेयू डकौंडा के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा, “17 जुलाई को हम विपक्षी दलों के नेताओं के घरों पर जाएंगे और उन्हें एक चेतावनी पत्र देंगे. हमारा उनसे यह निवेदन होगा कि वो या तो अपनी चुप्पी तोड़ें या फिर अपनी सीट छोड़ें. पांच दिनों बाद सिंघु से लोगों का बड़ा समूह निकलेगा और संसद पहुंचेगा और विपक्ष से कहेगा कि वो कार्यवाही को बाधित करे. हम बाहर बैठेंगे. हम इसे दोहराते रहेंगे, यह हमारे प्रदर्शन की योजना है.”
SKM ने बयान में कहा है कि हर संगठन से दो सदस्य और कम से कम 200 प्रदर्शनकारी संसद के बाहर हर रोज़ प्रदर्शन करेंगे. संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से 13 अगस्त तक चलने वाला है.
किसानों का दावा है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण होंगे और क़ानून समाप्त करने के लिए यह कड़ा संदेश होगा.
किसान संगठनों का कहना है कि संसद सत्र को लेकर उत्तर प्रदेश और पंजाब के और अधिक किसान प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं.
SKM ने पहले कहा था कि 8 जुलाई को वो डीज़ल-पेट्रोल जैसी ज़रूरी चीज़ों के बढ़ते दामों को लेकर सुबह 10 से रात 12 बजे तक राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करने जा रहा है.
सरकारी शोध में सामने आया, दूसरी लहर ने युवाओं को अधिक प्रभावित किया

अंग्रेज़ी दैनिक अख़बार द हिंदू ने एक सरकारी रिसर्च के हवाले से बताया है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान भारत में युवाओं और जिन्हें दूसरी बीमारियां नहीं थीं वैसे अधिक लोग बीमार और अस्पताल में भर्ती हुए.
इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च में छपे इस रिसर्च को इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR), ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (AIIMS) और नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (NCDC) ने मिलकर किया है.
इसके लिए इन संगठनों ने नेशनल क्लीनिकल रजिस्ट्री फ़ॉर कोविड-19 (NCRC) के डेटा की मदद ली है.
इस शोध में 1 सितंबर 2020 से 31 जनवरी 2021 और 1 फ़रवरी से 11 मई 2021 तक 40 अस्पताल में भर्ती हुए डेटा को खंगाला गया है. इस दौरान 18,961 लोग NCRC में दर्ज थे.
डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने इस बात पर चिंता चताई है कि शोध में दूसरी लहर के दौरान कम उम्र के अधिक लोग बीमार पड़े हैं, 20 साल से कम उम्र के आयु समूह को छोड़कर हर आयु वर्ग में मृत्यु दर बढ़ी है.