उत्तर कोरिया गंभीर खाद्य संकट से गुजर रहा है। एक किलो केले की कीमत 3336 रुपए है। इस तरह काली चाय के एक पैकेट की कीमत 5,167 रुपए और कॉफी 7,381 रुपए से अधिक हो गई है। देश में एक किलो मक्का 204.81 रुपए में बिक रहा है। इस तीव्र भोजन की कमी के पीछे प्रमुख कारण कोविड 19 महामारी, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों और व्यापक बाढ़ के मद्देनजर सीमाओं को बंद करना है।
भोजन की स्थिति तनावपूर्ण
चीन के ऑफिशियल कस्टमस डाटा के अनुसार नॉर्थ कोरिया भोजन, उर्वरक और ईंधन के लिए चीन पर निर्भर है। लेकिन इसका आयात 2.5 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 500 मिलियन डॉलर हो गया है। वास्तव में स्थिति इतनी विकट है कि कोरियाई किसानों को कथित तौर पर उर्वरक उत्पदान में मदद करने के लिए प्रतिदिन दो लीटर यूरिन देने को कहा है। वहीं किम जोंग उन ने स्वीकार किया है कि देश में भोजन की स्थिति तनावपूर्ण है।
उत्पादन योजना विफल रही
नार्थ कोरिया में 1990 के दशक में विनाशकारी अकाल आया था। जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी। पिछले साल कोरोनावायरस महामारी और गर्मियों के तूफानों और बाढ़ ने अर्थव्यवस्था पर और अधिक दबाव डाला। कोरिया की सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की केंद्रीय समिति की एक पूर्ण बैठक में किम ने कहा कि खाद्य स्थिति अब तनावपूर्ण हो रही है, क्योंकि कृषि क्षेत्र पिछले तूफान से हुए नुकसान के कारण अनाज उत्पादन योजना को पूरा करने में विफल रहा है।’
खराब चिकित्सा बुनियादी ढांचा
आधिकारिक समाचार एजेंसी केसीएनए ने बुधवार को बताया कि उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 25 प्रतिशत बढ़ रहा है। पिछली गर्मियों में आंधी-तूफान के कारण हजारों घर नष्ट हो गए और खेत जलमग्न हो गए। केसीएनए के मुताबिक बैठक में कोरोनावायरस महामारी पर भी चर्चा हुई। प्योंगयांग में खराब चिकित्सा बुनियादी ढांचा और दवाओं की कमी है। विश्लेषकों का कहना है कि कोविड-19 का प्रकोप अलग-थलग देश पर कहर बरपाएगा। उत्तर कोरिया ने एक सख्त लॉकडाउन लागू कर पिछले साल जनवरी में अपनी सीमा को सील कर दिया था। हालांकि संदेह है कि कोरिया ने इसके लिए एक बड़ी आर्थिक कीमत चुकाई है।