अनजान महिला को ‘डार्लिंग’ कहना अपमानजनक है। यह एक तरह का यौन संकेत है। कलकत्ता हाई कोर्ट की सर्किट बेंच ने एक मामले पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। मामला अंडमान निकोबार द्वीप समूह का है।
महिला कांस्टेबल ने इसे लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। मायाबंदर पुलिस स्टेशन ने आईपीसी की धारा 354A (1) (iv) और 509 (किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) के तहत एफआईआर दर्ज की थी।
निचली अदालत में मामला जाने पर युवक को तीन महीने की सजा सुनाई गई थी। युवक ने इस फैसले को कलकत्ता हाई कोर्ट की पोर्ट ब्लेयर बेंच में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने यह टिप्पणी की।
न्यायाधीश ने कहा कि युवक की बातों में महिला कांस्टेबल के प्रति यौन संकेत थे। उसने उत्सव की रात में नशे की हालत में ऐसा कहा था। न्यायाधीश ने हालांकि थोड़ी नरमी दिखाते हुए तीन महीने की सजा को कम कर एक महीने की कर दी और युवक को भविष्य में इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल को लेकर सावधान रहने की हिदायत दी।
मुंबई: कोर्ट ने कहा- प्रेम संबंध टूटने पर आत्महत्या उकसावे का मामला नहीं
वहीं, मुंबई की एक अदालत ने अपने पूर्व पुरुष मित्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से एक महिला को बरी करते हुए कहा कि प्रेम संबंध टूटने के बाद मानसिक सदमे के चलते की जाने वाली आत्महत्या की स्थिति में उकसावे का मामला नहीं बनता।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एनपी मेहता ने 29 फरवरी को ये टिप्पणियां कीं और मनीषा चुडास्मा व उसके मंगेतर राजेश पंवार को बरी कर दिया। उन दोनों पर नितिन केनी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप था। केनी अपने घर पर 15 जनवरी, 2016 को फंदे से लटके मिले थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया था जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
न्यायाधीश ने कहा, “नैतिक रूप सेज् प्रेमी या प्रेमिका बदलना गलत है, लेकिन अगर कोई दंडात्मक कानून के प्रविधानों पर गौर करे, तो उस पीड़ित के पास कोई उपाय नहीं है, जिसके या जिसकी साथी ने अपनी पसंद से दूसरे व्यक्ति के साथ प्रेम संबंध कायम कर लिया हो।” उन्होंने अपने आदेश में कहा कि भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा-306 के अनुसार, आरोपित की ओर से आत्महत्या के लिए मजबूर करने संबंधी कोई उकसावा होना चाहिए। अदालत ने कहा, “कोई यदि किसी से प्यार करता है और उसका या उसकी साथी बेवजह रिश्ता तोड़ दे, तो वह भावनात्मक रूप से टूट जाता है। यदि कोई प्रेम संबंध टूटता है और मानसिक सदमे के कारण उनमें से एक साथी आत्महत्या कर लेता है, तो उसका मामला आइपीसी की धारा-306 और धारा-107 के तहत नहीं बनेगा।”